07-06-22
कानपुर में 3 जून को हुई हिंसा पूरी तैयारी के साथ रची गई साजिश का नतीजा था। पुलिस के मुताबिक, 3 जून की तारीख इसलिए चुनी गई, क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का दौरा था। इसका पता मास्टरमाइंड जफर हयात हाशमी के वॉटसऐप चैट से हुआ है। इस बीच पुलिस ने हिंसा के 40 आरोपियों की फोटो जारी किए हैं। इसके एक घंटे में 3 संदिग्धों की पहचान भी हो गई।
3 जून की कानपुर हिंसा संयोग नहीं थी। सोची-समझी साजिश थी। जफर हयात हाशमी के मोबाइल वॉट्सऐप चैट से साक्ष्य मिले हैं। हिंसा के मुख्य आरोपी हयात ने दिखावे के लिए कानपुर बाजार बंदी को वापस लिया था। ये नाटक पुलिस को गुमराह करने के लिए किया गया। अब हयात के वॉट्सऐप चैट में बाजार बंद के वीडियो और फोटो मिले हैं। इसमें वो लोगों को रोकने के बजाए उन्हें भड़का रहा है। कुछ ऐसे भी साक्ष्य मिले हैं, जिसमें VVIP मूवमेंट की वजह से 3 जून को चुने जाने की पुष्टि होती है।
मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अफसर ने बताया कि हयात जफर हाशमी, उसके साथी जावेद, सूफियान और राहिल से अलग-अलग पूछताछ की गई। सभी के बयान अलग-अलग थे, लेकिन कुछ बातें एक जैसी थीं। सभी ने कहा कि जिस तरह से नूपुर शर्मा ने पैगंबर साहब को लेकर बयान दिया था, वैसा भविष्य में कोई न करे, इसके चलते राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दिन को हिंसा के लिए चुना गया।
हिंसा की साजिश करने वालों का कहना है कि उनका मकसद पूरा हो गया। देश के शीर्ष तक उनकी बात पहुंच गई है। आरोपियों ने कहा कि बाजार बंदी का प्लान सिर्फ कानपुर का नहीं था। कोशिश ये थी कि हर शहर में ऐसा हो।
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