आज के वक्त में बच्चों की परवरिश करना माता-पिता के लिए एक बड़ा चैलेंज बन गया है। यदि आप पैरेंट है तो आपको ध्यान रखना होगा कि आप बच्चे से कैसे बर्ताव करते हैं उस पर आपके बच्चे का पूरा भविष्य टिका हुआ है। आपको अपने बच्चों को भविष्य में होने वाले कठिनायों का सामना करने के लिए अभी से उसकी ट्रैनिंग शुरू करनी होगी। बच्चों की परवरिश करने का कोई एक तरीका नहीं बल्कि कई सारे तरीके अपनाने होंगे। आपको समझना होगा कि आपका बच्चा कोई भी चीज कैसे सीखता है क्योंकि सब बच्चे एक जैसे नहीं होते हैं।
बच्चों की परवरिश करने का एक पैरेंटिंग स्टाइल हैं माइंडफुल पैरेंटिंग (mindful parenting)। इसमें मां- बाप अपने बच्चे के साथ अपने बॉन्ड को मजबूत करने और उसकी भावात्मक बुद्धि (emotional intelligence) को बढ़ावा देने का काम करती है। आज के वक्त में बच्चों के लिए इमोशनल इंटेलिजेंस का होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इसकी मदद से वो चुनौतियों का सामना करने और जीवन के कई पहलुओं में टिकने में मदद करते हैं। इस ब्लॉग में आज हम आपको माइंडफुल पैरेंटिंग से जुड़ी बहुत सी जरूरी बाते बताने जा रहे हैं-
सबसे पहले जाते हैं कि आखिर माइंडफुल पैरेंटिंग (mindful parenting) होता क्या है
माइंडफुल पैरेंटिंग का सीधा नाता माइंडफुलनेस (mindfulness) से है। इसमें पैरेंट्स को बच्चों को बिना जज किए उन्हें वर्तमान में रहना सिखाया जाता है। इस पैरेंटिंग स्टाइल में माता-पिा को अपने बच्चे की भावनात्मक जरूरतों को लेकर सतर्क रहना होता है। बच्चों को बिना जज किए उनकी भावनाओं और व्यवहार को समझना होगा। माइंडफुल पैरेंटिंग से बच्चे के बौद्धिक विकास और सोशल लाइफ (social life) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आत्म-विश्वास का समर्थन करें (Support Self-Trust)
बच्चे को बचपन से ही सिखाए की आप बेहद खास हैं, अपने आप में विशेष हैं उनसे बेहतर कोई नहीं है। जिन युवाओं को खुद पर संदेह करना सिखाया जाता है, वे ऐसे किशोर बन सकते हैं जो खुद पर कभी भरोसा नहीं करते। एक शोध से यह भी पता चलता है कि जब माता-पिता आदतन बच्चों की भावनाओं को नजरअंदाज कर देते हैं, तो उनके बच्चों में भावनात्मक स्वास्थ्य समस्याएं होने और भावनाओं को मैनेज करने और व्यक्त करने में कठिनाई होने की संभावना अधिक होती है।
बच्चों पर अपना पूरा ध्यान दें (Offer Your Full Attention)
बच्चे बहुत मिलनसार होते हैं और सबसे मूल्यवान चीजों में से एक जो आप उन्हें दे सकते हैं वह है आपका पूरा ध्यान।” हर दिन सोने से पहले पांच मिनट भी फोन का उपयोग न करना उनके भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। जब बच्चों को नियमित रूप से गुणवत्तापूर्ण समय नहीं मिलता है, तो उनका इमोशनल सपोर्ट प्रभावित होता है। एक शोध में बता चला है कि माता-पिता का अपने फोन और अन्य उपकरणों से चिपके रहना किशोरों में बढ़ते अवसाद और चिंता से जुड़ा था।
सामाजिक और भावनात्मक विकास के बारे में थोड़ा जानें ( Learn a Little About Social and Emotional Development)
बच्चों की परविश करने के लिए किसी भी माता-पिता को पीएचडी करने की जरूरत नहीं है। यदि आप अपने बच्चे की बुनियादी बातों पर ध्यान देते हैं तो आप अच्छी पैरेंटिग कर सकते हैं। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) के अनुसार, Knowledge of development (बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार क्या चाहिए और क्या करने में सक्षम होना चाहिए) माता-पिता को रियलिस्टिक उम्मीदें रखने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, कुछ देखभाल करने वालों को चिंता होती है कि रोने पर वे अपने बच्चों को गोद में लेकर उन्हें बिगाड़ देंगे, लेकिन यह चिंता ग़लत है। “प्रारंभिक परवरिश के लिए, स्पर्श किया जाना और गोद में लिया जाना एक मूलभूत आवश्यकता है।
चुनौतियों के माध्यम से काम करने का मौका दें (Give Chances to Work Through Challenges)
एक अच्छे पैरेंट्स होने के नाते आपको अपने बच्चों को चुनौतियों से भागने की बजाए उसका डटकर सामना करना सिखाना चाहिए। एक शोध से पता चलता है कि विश्वविद्यालय के जिन छात्रों ने कहा कि उनके माता-पिता अत्यधिक सुरक्षात्मक थे, उनकी भावनात्मक स्थिति खराब होने की संभावना अधिक थी, जैसा कि चिंता, अवसाद और भावनाओं को पहचानने और उनका वर्णन करने में असमर्थता से मापा जाता है।
मान लें कि आपका बच्चा जिम्नास्टिक के पहले दिन घबरा गया था और वापस नहीं जाना चाहता। वह सुझाव देती हैं कि उन्हें गतिविधि से हटाने के बजाय, यह सामान्य करें कि चीजें अक्सर पहली बार डरावनी होती हैं और उन्हें कुछ समय तक जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करें। हो सकता है कि वे कभी भी बैक हैंडस्प्रिंग में कील न लगाएं, लेकिन वे किसी कठिन चीज़ को संभालना सीख सकते हैं।
माइंडफुल पैरेंटिग से जिन बच्चों की परवरिश की जाती है वे पढ़ाई में अच्छा परफॉर्म कर पाते हैं। उनके सोशल स्किल्स भी तेज होते हैं और उन्हें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां भी कम देखने को मिलती है। यदि आप भी चाहते हैं कि आपका बच्चा भावनात्मक रूप से मजबूत बने और जिंदगी की सारी चुनौतियों का डटकर सामना करे तो आप इस पैरेंटिंग स्टाइल को अपना सकते हैं। इससे बच्चे को ही फायदा नहीं बल्कि आप दोनों के बीच का बॉन्ड मजबूत होगा।
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