अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन समारोह एक भव्य समारोह था, जिसे न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में लाखों हिंदुओं ने मनाया। लेकिन, अभी पुरानी राम लल्ला की मूर्ति की स्थापना की बात सामने आयी है, जो कहा जाता है की 22 दिसंबर, 1949 की रात को बाबरी मस्जिद के अंदर दिखाई देने के बाद से एक अस्थायी तम्बू में रखी गई थी। कई लोगों का दावा है कि उन्होंने बाबरी मस्जिद में रहस्यमय तरीके से राम की मूर्ति देखी, जिससे स्थल के आसपास धार्मिक भावनाएं भड़क उठीं और कानूनी लड़ाई छिड़ गई जो दशकों तक चली।
अधिकारियों और पुजारियों ने कहा कि पुरानी मूर्ति को भी नए मंदिर में ले जाया जाएगा और सिंहासन पर रखा जाएगा। उन्हें नई रामलला की मूर्ति के सामने एक सिंहासन पर बैठाया जाएगा। मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि “भगवान जो पहले से ही वहां मौजूद हैं, वे भी मंदिर में चले जायेंगे। रस्में अदा की जा रही हैं। जो मूर्ति अस्थायी मंदिर में है, वह भी गर्भगृह में चली जाएगी। आपके पास रामलला की एक खड़ी मूर्ति होगी, और वह मूर्ति भी होगी जो 1949 में प्रकट हुई थी। दोनों मूर्तियां सिंहासन पर होंगी।”
इस प्राण प्रतिष्ठा ने पूरे देश में त्यौहार जैसा माहौल कर दिया थी। इस घटना ने पूरे भारत में धार्मिक उत्साह जगा दिया, कई राज्यों ने छुट्टी की घोषणा की थी, शेयर बाजार बंद रहे और घरों और व्यवसायों में रोशनी की गई थी।
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