हालही में कर्नाटक से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। कर्नाटक सरकार ने एक फैसला लिया है कि परीक्षा देने वाले बच्चों को एग्जाम हॉल में सिर्फ क्वेश्चन पेपर दिया जाएगा और आंसर बुक उन्हें घर से लेकर आनी है।
परीक्षा के दौरान स्कूल विद्यार्थियों को क्वेश्चन पेपर और आंसर शीट दोनों देती है। यह न केवल एक रूल है, बल्कि यह स्कूल वालों की ड्यूटी भी है। जैसे ही परीक्षा ख़त्म होती है, परीक्षार्थी क्वेश्चन पेपर अपने साथ ले जाते हैं और आंसर बुक टीचर को दे देते हैं।
लेकिन, कर्नाटक ने उल्टा खेल खेला है। उन्होंने हालही में एक फैसला लिया है जिसके मुताबिक 5वीं, 8वीं और 9वीं कक्षा के छात्रों को एग्जाम में आंसर बुक घर से लानी होगी। कर्नाटक सरकार ने सभी स्कूलों को आदेश दे दिया है कि वे बच्चों को घर से ही आंसर शीट लाएं। विभाग ने आंसर बुक का मूल्यांकन ब्लॉक स्तर पर करने का निर्णय लिया है।
आपको बता दें कि यह आदेश विशेष रूप से 5वीं, 8वीं और 9वीं कक्षा के छात्रों के लिए लिया गया है। हालाँकि इस फैसले के लिए जाने के पीछे की वजह अभी तक सामने नहीं आई है।
सूचनानुसार 2022-23 में KSEAB विभाग ने छात्रों को फ्री आंसर बुकलेट और क्वेश्चन पेपर देकर परीक्षा आयोजित की थी। इस साल भी यही होने वाला था। लेकिन, एन वक्त पर सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया।
इस फैसले का विरोध करते हुए सिद्धारमैया सर्कार पर BJP ने एक बार फिर तंज कसा है। बता दें कि इस फैसले के नुकसान बहुत है। हो सकता है कि बच्चे पहले से ही आंसर शीट पर कुछ लिखकर ले आए। हो सकता है कि जितनी आंसर बुक वह लेकर आए वह कम पड़े। इस फैसले से परीक्षार्थिओं का नुक्सान होने का खतरा बहुत ज़्यादा है।
बीजेपी नेता तेजस्वी सूर्या ने अपने X अकाउंट पर सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा था कि इस फैसले के बाद सरकार सत्ता में रहने की गरिमा खो चुकी है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से शिक्षा विभाग को तुरंत धनराशि उधार लेने और शिक्षा विभाग को जारी करने चाहिए और आंसर शीट्स छपवाना सुनिश्चित करने का आग्रह करें। सरकार की दूरदर्शिता और योजना की कमी से छात्र समुदाय पर दबाव नहीं पड़ना चाहिए।
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