हालही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्कि धाम मंदिर का भूमि पूजन किया है और वहां के शिलान्यास कार्यक्रम में वे शामिल हुए हैं। भूमि पूजन अनुष्ठान समाप्त होने के बाद मोदी मंच पर पहुंचे, तो श्री कल्कि धाम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य प्रमोद कृष्णम और स्वामी अवधेशानंद गिरि ने अंगवस्त्र ओढ़ाकर उनका स्वागत किया।
कल्कि धाम में सबको संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि “आज यूपी की धरती से भक्ति, भाव और अध्यात्म की एक और धारा प्रवाहित होने को लालायित है। आज पूज्य संतों की साधना और जनमानस की भावना से एक और पवित्र धाम की नींव रखी जा रही है। मुझे विश्वास है कि कल्कि धाम भारतीय आस्था के एक और विराट केंद्र के रूप में उभरकर सामने आएगा। कई ऐसे अच्छे काम हैं, जो कुछ लोग मेरे लिए ही छोड़ कर चले गए हैं। आगे भी जितने अच्छे काम रह गए हैं, उनको भी संतों और जनता-जनार्दन के आशीर्वाद से हम पूरा करेंगे।”
आपको बता दें कि इस मंदिर को बनने में अभी 5 साल लगेंगे। इस मंदिर को कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट बनवा रहा है। यह 5 एकड़ में बनकर तैयार होगा। इस मंदिर का निर्माण भी बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से होगा। मंदिर के शिखर की ऊंचाई 108 फुट होगी। मंदिर में 10 गर्भगृह होंगे, जिनमें भगवान विष्णु के 10 अवतारों के विग्रह स्थापित किए जाएंगे।
कौन हैं कल्कि भगवान और कैसा है उनका रूप
कल्कि भगवन विष्णु जी के 10 वें और आखरी अवतार हैं। शास्त्रों के अनुसार इनका जन्म सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को शम्भाला नाम के हिमालय में स्थित एक गाँव में विष्णुयशा नाम के एक ब्राह्मण परिवार में होगा। माना जाता है कि यह गाँव बहुत ही आध्यात्मिक महत्व रखता है। शम्भाला तिब्बती बौद्ध धर्म में एक पौराणिक साम्राज्य है। यह भी कहा जाता है कि इस गाँव को हर कोई नहीं देख सकता। इसलिए इसे अदृश्य भी माना जाता है।
कल्कि पुराण और विष्णु पुराण में कहा गया है कि कल्कि भगवान कलियुग के अंत में आएंगे और सभी अधर्मियों का नाश करेंगे। वह एक सफ़ेद घोड़े पर आएंगे और उनके हाथ में तलवार होगी। वे केवल 3 दिन में सभी अधर्मियों का नाश कर देंगे।
आपको बता दें कि कल्कि भगवान का ज़िक्र कल्कि पुराण, विष्णु पुराण, भविष्य पुराण, श्रीमद्भगवद्गीता और अग्नि पुराण में होता है। कल्कि का जन्म कलियुग का अंत और सतयुग की शुरुआत करने के लिए होगा।
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