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अहमदाबाद में 55,605 बच्चों ने छोड़ी प्राइवेट स्कूल और चुनी सरकारी स्कूल, 10 साल में ऐसा क्या बदला?

देश में बढ़ती महंगाई हर वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है। खासकर मध्यम वर्ग के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है। महंगाई के चलते आय में बढ़ोतरी नहीं हो रही है, जिससे घर-परिवार का खर्चा संभालना मुश्किल होता जा रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाएं भी दिनोंदिन महंगी होती जा रही हैं। इसी वजह से अब माता-पिता का प्राइवेट स्कूलों से मोहभंग हो रहा है। अहमदाबाद म्युनिसिपल स्कूल बोर्ड द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों में बीते 10 वर्षों में 55,605 छात्रों ने प्राइवेट स्कूल छोड़कर प्रवेश लिया है।

10 साल में सरकारी स्कूलों की ओर रुझान क्यों बढ़ा?
अहमदाबाद के विभिन्न वॉर्डों में पिछले एक दशक के दौरान 129 म्युनिसिपल स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में बदल दिया गया है। बेहतर सुविधाओं, आधुनिक शिक्षा प्रणाली और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के चलते माता-पिता का विश्वास सरकारी स्कूलों में बढ़ा है।

2025-26 में म्युनिसिपल स्कूलों के लिए क्या योजनाएं हैं?

24 नई स्कूलों का निर्माण: वर्ष 2025-26 में अहमदाबाद नगर निगम 24 नई स्कूलों का निर्माण करेगा।
शिक्षा पर खर्च: 2025-26 के लिए 1,143 करोड़ रुपये के बजट में से सिर्फ 77.50 करोड़ रुपये शैक्षिक गतिविधियों पर खर्च किए जाएंगे।
स्मार्ट स्कूल प्रोजेक्ट: 129 स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में बदलने के बाद बच्चों को आधुनिक तकनीक और बेहतर शिक्षण सुविधाएं दी जा रही हैं।

बजट का उपयोग कहां हो रहा है?
म्युनिसिपल स्कूल बोर्ड के बजट का बड़ा हिस्सा वेतन और पेंशन पर खर्च होता है।

कुल बजट: ₹1,143 करोड़
वेतन और पेंशन पर खर्च: ₹1,042.5 करोड़
शैक्षिक गतिविधियों पर खर्च: ₹77.50 करोड़

राज्य सरकार और निगम का योगदान
सरकारी स्कूलों के लिए राज्य सरकार 808 करोड़ रुपये का अनुदान देगी, जबकि म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन 131 करोड़ रुपये का सहयोग करेगा।

स्मार्ट स्कूलों का असर
स्मार्ट स्कूल बनने के बाद छात्रों और अभिभावकों का सरकारी स्कूलों की तरफ रुझान तेजी से बढ़ा है। ये स्कूल आधुनिक तकनीक, डिजिटल क्लासरूम और बेहतर शिक्षण सामग्री के जरिए शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।

बढ़ती महंगाई और प्राइवेट स्कूलों की अधिक फीस ने माता-पिता को सरकारी स्कूलों का विकल्प चुनने पर मजबूर किया है। वहीं, म्युनिसिपल स्कूल बोर्ड द्वारा सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की पहल ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। यदि यह सुधार और प्रयास जारी रहते हैं, तो आने वाले वर्षों में सरकारी स्कूलों में नामांकन और भी बढ़ सकता है।