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Wednesday, January 22   12:59:57

चुनावी चहल पहल: चुनावों में नारों का दमखम कितना !?

चुनाव प्रचार तभी अपना रंग लाता है, जब चुनावी मैदान में उतरी पार्टियों के स्लोगंस यानि नारे जबरदस्त हो, मनलुभावन हो। जन मानस को अपील करते ऐसे ही कुछ स्लोगन्स की बात करते है  आज के चुनावी चहल पहल सेगमेंट में।

चुनावी तारीख की घोषणा के साथ ही, वातावरण गरमाने लगता है। मौसम चाहे कोई भी हो उम्मीदवार की जीतने की ललक उसे दौड़ाती रहती है।अभी आसमान से बरसती लू और सूरज की गर्मी के बावजूद प्रत्याशी प्रचार में जुटे हैं।इन प्रत्याशियों को जिताने में उनकी पार्टियों के स्लोगन्स यानि नारे बहुत ही महत्वपूर्ण रोल अदा करते है।स्लोगन चुनाव की दशा और दिशा पलट देते है।

भाजपा ,कांग्रेस और अन्य पार्टियों के स्लोगन ने अक्सर तख्ता पलट दिया है। इस बार भाजपा ने नारा दिया है,”अबकी बार 400 पार” जो जनमानस पर छाया है। वहीं कांग्रेस का नारा है “हाथ बदलेगा हालात”।

आजादी के बाद हुए चुनावों में विजयी पार्टी ने नारों का दमखम देखा है।भाजपा ने….”अच्छे दिन आनेवाले है”,”अबकी बार मोदी सरकार” ,”अबकी बार फिर मोदी सरकार …”जैसे नारों पर पिछले चुनाव बहुमत से जीते। 1977 में इंदिरा गांधी विरुद्ध विपक्ष ने नारा दिया था,”खा गई राशन पी गई तेल, ये देखो इंदिरा का खेल” ।इस नारे ;के कारण कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई थी। 1952 में जनसंघ की स्थापना हुई। उस वक्त जनसंघ का नारा था,” हर हाथ को काम, हर घर को पानी, हर घर को पानी, घर-घर दीपक जनसंघ की निशानी”। 1967 में “उज्जवल भविष्य की हो तैयारी, बच्चा-बच्चा अटल बिहारी”। 1980 में जब कई कांग्रेसी अन्य पक्षों में जाने लगे तब कांग्रेस का सूत्र था “दलबदलू फंसा शिकंजे में, मोहर लगेगी पंजे में”।

1985 में जब चीनी के भाव दुगने से भी अधिक हो गए थे,महंगाई बढ़ गई थी तब इंदिरा सरकार के विरुद्ध विपक्ष का सूत्र था,”चीनी मिलेगी सात पर ,जल्दी पहुंचेगी खाट पर”।”जनसंघ को वोट दो बीड़ी पीना छोड़ दो,बीड़ी में तंबाकू है,कांग्रेस पार्टी डाकू है”।जबकि कांग्रेस के नारे थे,” इंदिरा इज इंडिया,इंडिया इज इंदिरा,”,कांग्रेस लाओ, गरीबी हटाओ”इसके विरुद्ध विपक्ष का नारा था,”इंदिरा हटाओ,देश बचाओ”।इमरजेंसी में संजय गांधी द्वारा लोगो की जोर जबरदस्ती नसबंदी करवाने के खिलाफ विपक्ष का सूत्र था,”जमीन गई चकबंदी में,मर्द गए नसबंदी में” ,नसबंदी के तीन दलाल,इंदिरा संजय बंसीलाल”।मारुति कार प्रोजेक्ट शुरू करने वाले संजय गांधी और इंदिरा गांधी के खिलाफ नारा लगाया जाता था,”बेटा कार बनाता है, मां बेकार बनाती है”।”कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ”।

यूं नारों की भी अपनी राजनीति है।ये नारे कई बार विजयघोष करवाते है, तो कभी हार की पोटली थमा देता है।वैसे ज्यादातर इन नारों ने विजयमाला ही पहनाई है।