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प्रेम और शांति का त्योहार ईद उल अजहा, मुस्लिमों ने किया हजरत इब्राहिम साहब को याद

29-06-2023, Thursday

मुस्लिम समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार ईद उल अजहा यानी बकरा ईद का आज त्योहार है।आज के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है।
आज मुस्लिम समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार ईद उल अजहा है।आज के दिन अल्लाह की राह में कुर्बानी देने का विशेष महत्व होता है।यह त्योहार प्रेम और शांति का प्रतीक है। इस्लामिक संस्कृति में हज यात्रा के समय में यह त्योहार आता है। लोग बकरे को अपनी हैसियत के अनुसार पाल पोस कर बड़ा करते है,और उसे बकरा ईद के दिन अल्लाह की राह में कुर्बान करते है।
इसके पीछे एक घटना है। खुदा ने हजरत पैगंबर सल्लल्लाहो अलैहे वस्सलम इब्राहिम साहब की परीक्षा लेने की उद्देश्य से उन्हें आदेश दिया कि वे तभी प्रसन्न होंगे, जब वह अपने बेइंतहा अजीज को उनकी राह में कुर्बान करेंगे। इस आदेश पर उन्होंने अपनी धन,दौलत,मवेशी सब कुछ कुर्बान कर दिया ,पर फिर भी अल्लाह खुश नही हुए,तब वे अपने अजीज़ बेटे को कुर्बान करने लगे। बेटे को कुर्बान करना आसान नहीं था।उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर जब कुरबानी दी तो आवाज किसी जानवर की आई।उन्हें आश्चर्य हुआ,पट्टी खोलकर देखा तो बेटा सुरक्षित था। अल्लाह के दूत ने आकर उनके बेटे इस्माइल की जगह बकरे जैसा जानवर डूंबा रख दिया। अल्लाह सल्ललाहो अलैहे वसल्लम इब्राहिम साहब के इस जज्बे से प्रसन्न हुए। तब से ईद उल अजहा यानी बकरा ईद के दिन मुस्लिम समुदाय द्वारा नर बकरे को कुर्बान किया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के बारहवें महीने के दसवें दिन ईद उल अजहा का त्यौहार आता है ।रमजान के 2 महीने बाद यह फर्ज ए कुर्बान का दिन होता है। इन दिनों लोग हज को जाते है,और काबा के स्थापक हजरत इब्राहिम साहब को याद करते है।मुस्लिम समुदाय के सभी लोग अपनी हैसियत के अनुसार बकरा कुर्बान करते हैं।