यूं तो राजस्थान अपनी बोली, खान-पान, राजशाही किले, हवेलियां, और संस्कृति के लिए दुनियाभर में मशहूर है। राजस्थान का मतलब ही है राजाओं का स्थान यानी शूरवीरों की धरती। भारत के पश्चिम में स्थित यह राज्य क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर की सीमाएं पाकिस्तान की सीमा से लगती है। वहीं पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात इसके पड़ोसी राज्य है। भौगोलिक रूप से नहीं राजस्थान का सियासी इतिहास भी काफी दिलचस्प है। यह एक ऐसा राज्य है जहां राष्ट्रपति शासन कुल चार बार लागू हो चुका है।
आज हम आपको राजस्थान के मुख्यमंत्रियों से जुड़ी रोचक बातें बताने जा रहे हैं। 1949 से अब तक 13 लोग राजस्थान के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।
- हीरा लाल शास्त्री (कांग्रेस) (1949-1951)
हीरा लाल शास्त्री राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री थे। 7 अप्रैल 1949 में उन्हें राज्य का पहला मुख्यमंत्री बनाया गया। स्वतंत्रता से पूर्व हीरालाल शास्त्री जयपुर प्रजामंडल मे सक्रिय थे। 26 जनवरी 1950 तक इनका पदनाम प्रधानमंत्री था, फिर संविधान लागु होने पर इनका पदनाम मुख्यमंत्री हो गया।
- सी.एस. वेंकटचारी (कांग्रेस) (1951)
सी.एस. वेंकटचारी राजस्थान के दूसरे मुख्यमंत्री रहे। वेंकटाचारी एक भारतीय राजनेता थे जो गैर राजस्थानी होकर यहां के मुख्यमंत्री बने। उनका जन्म बैंगलुरू से करीब एक गांव में हुआ था। हीरा लाल शास्त्री के इस्तीफे के बाद , उन्होंने 6 जनवरी 1951 से 25 अप्रैल 1951 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद संभाला।
- जय नारायण व्यास (कांग्रेस) (1951-1952, 1952-1954)
जय नारायण व्यास एक भारतीय राजनीतिज्ञ और राजस्थान राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री थे। वे जोधपुर शहर के रहने वाले थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता थे । 3 मार्च 1948 को वे जोधपुर राज्य के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 7 अप्रैल 1949 को अपना पद त्याग दिया। वे दो बार राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री रहे, पहली बार 26 अप्रैल 1951 से 3 मार्च 1952 तक और दूसरी बार 1 नवंबर 1952 से 12 नवंबर 1954 तक।
- टीकाराम पालीवाल (कांग्रेस) (1952)
टीका राम पालीवाल एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, ये 3 मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1952 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। वे 26 अप्रैल 1951 से 2 मार्च 1952 तक जय नारायण व्यास सरकार में मंत्री रहे थे। जय नारायण व्यास के चुनाव हार जाने के कारण वे पहली लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राजस्थान विधान सभा के मुख्यमंत्री बने। बाद में जय नारायण व्यास किशनगढ़ से उपचुनाव में निर्वाचित हुए और 1 नवंबर 1952 को फिर से पद संभाला। इसलिए टीका राम पालीवाल ने थोड़े समय के लिए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और इसमें फिर से शामिल हो गए।
- मोहन लाल सुखाड़िया (कांग्रेस) (1954-1962, 1967-1971)
मोहन लाल सुखाड़िया ने 17 साल तक राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला। वे 38 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बने और राजस्थान में बड़े सुधार और विकास लाए। बाद में सुखाड़िया ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।
- बरकतुल्लाह खान (कांग्रेस) (1971-1973)
बरकतुल्लाह खान, फ़िरोज़ गाँधी के दोस्त थे और एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो इन्दिरा गाँधी को भाभी कह कर बुलाते थे। बरकतुल्लाह खान 9 जुलाई 1971 से 11 अक्टूबर 1973 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। साल 1920 में जोधपुर में जन्में बरकतुल्लाह खान की कार्यालय में ही 11 अक्टूबर 1973 को हार्ट अटैक से मौत हो गई।
- हरि देव जोशी (कांग्रेस) (1973-1977, 1985-1988, 1989-1990)
हरि देव जोशी भारतीय राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हरि देव जोशी आजादी के बाद 1952 में राजनीति में उतरे थे। तब से वे 10 बार विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें हर बार जीत हासिल की। वे पहली बार 11 अक्टूबर 1973 से 29 अप्रैल 1977 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, दूसरी बार 10 मार्च 1985 से 20 जनवरी 1988 तक और अंत में 4 दिसम्बर 1989 से 4 मार्च 1990 तक मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। वे असम, मेघालय और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रहे।
- भैरों सिंह शेखावत (कांग्रेस) (1977-1980, 1990-1992, 1993-1998)
भैरों सिंह शेखावत भारत के 11वें उपराष्ट्रपति थे। 1977 में आपातकाल के बाद वे जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर छबड़ा से विधायक बने। उस वक्त जनता पार्टी ने राजस्थान के राज्य विधानसभा चुनावों में 200 में से 151 सीटें जीतीं और शेखावत ने 1977 में राजस्थान के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री के तौर पर पद संभाला। 1980 में उनकी सरकार को इंदिरा गांधी ने बर्खास्त कर दिया था।
1984 में इंदिरा गांधी के शासनकाल में बीजेपी चुनाव हार गई। इसके बाद 1989 के चुनाव में बीजेपी-जनता दल गठबंधन ने लोकसभा में 24 सीटें जीतीं और राजस्थान विधानसभा चुनाव में 140 सीटों पर कब्जा किया। 1990 में भैरों सिंह शेखावत फिर से राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और 1992 तक पद पर बने रहे। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने अगले चुनाव में 95 सीटें जीतीं। इस प्रकार स्वतंत्र समर्थकों के सहयोग से वह सरकार बनाने में सक्षम हो गए लेकिन कांग्रेस इसके विरोध में थी। 1993 में लगातार तीसरी बार वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बने और पांच साल तक रहे।
- जगन्नाथ पहाड़िया (कांग्रेस) (1980-1981)
जगन्नाथ पहाड़िया एक भारतीय राजनीतिज्ञ और राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। वे हरियाणा के राज्यपाल भी रह चुके हैं। जगन्नाथ पहाड़िया 6 जून 1980 से 14 जुलाई 1981 मात्र 13 महीनों के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा राजस्थान में पूरे तरीके से शराब बंदी करने वाले पहले मुख्यमंत्री रहे।
10. शिव चरण माथुर (कांग्रेस) (1981-1985, 1988-1989)
शिव चरण माथुर एक भारतीय राजनेता थे। वे 1981 से 1985 तक राजस्थान का मुख्यमंत्री और फिर 1988 से 1989 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। बाद में वे 2008 से 2009 तक असम के राज्यपाल रहे। भरतपुर की तत्कालीन रियासत के तत्कालीन प्रमुख राजा मान सिंह की हत्या के कारण राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया, जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद, वे 20 जनवरी 1988 से 4 दिसंबर 1989 तक फिर से मुख्यमंत्री बने।
- हीरा लाल देवपुरा (कांग्रेस) (1985)
शिव चरण माथुर के बाद 23 फरवरी 1985 से 10 मार्च 1985 तक भारत के मुख्यमंत्री थे। यह शिव चरण माथुर और हरि देव जोशी के बीच एक स्टॉप गैप व्यवस्था थी ।
- अशोक गहलोत (कांग्रेस) (1998-2003, 2018-वर्तमान)
अशोक गहलोत राजस्थान के 25वें मुख्यमंत्री हैं। साल 1998 में कांग्रेस को 153 सीटें मिलने के बाद तत्कालीन दिग्गज कांग्रेसियों से आगे निकल कर अशोक गहलोत पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। साल 2008 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बहुमत मिलने के बाद फिर दूसरी बार अशोक गहलोत ने 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। 17 दिसंबर 2018 को अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में तीसरी बार कमान संभाली और अब भी में सीएम की सीट पर विराजमान हैं।
- वसुन्धरा राजे सिंधिया (भारतीय जनता पार्टी) (2003-2008, 2013-2018)
राजस्थान की सियासत में वसुन्धरा राजे सिंधिया धाकड़ महिला नेत्री के रूप में जानी जाती हैं। वे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री थी। वसुन्धरा राजे सिंधिया भूतपूर्व ग्वालियर राजघराने की पुत्री हैं। उनका विवाह धौलपुर के एक जाट राजघराने में हुआ। 5 बार की लोकसभा सांसद रही वसुंधरा दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने सबसे पहले 9 दिसम्बर 2003 – 10 दिसम्बर 2008 तक मुख्यमंत्री की पदवी संभाली। 2013 में गहलोत सरकार को सता से हटाने के लिए उन्होंने सुराज संकल्प यात्रा निकाली जिसका उन्हे भरपूर समर्थन मिला ओर वह राज्य की दुसरी मुख्यमंत्री बनी।
More Stories
शाहरुख खान की फिल्मों की असफलता क्यों चाहती थी गौरी खान? चौकाने वाला खुलासा!
‘मुझे तीन महीने में दूसरी बार सीएम आवास से निकाला गया’, सीएम आतिशी का केंद्र पर हमला
Panda Parenting: बच्चों की परवरिश का एक नया तरीका