वड़ोदरा के एक अनोखे लाल रंग से सजे 60 साल पहले बने सितार को अब न्यू यॉर्क के मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ़ आर्ट (Metropolitan Museum of Art) में रखा गया है। ये विश्व स्तर पर सबसे लोकप्रिय आर्ट म्यूजियम में से एक और अमेरिका में सबसे अधिक देखे जाने वाले मुसुम्स में से एक है। बताया जाता है कि यह सितार हसु पटेल की अमानत थी। हसु पटेल एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित सितार कलाकार थे। उन्होंने अपना पहला डेब्यू 10 साल की उम्र में सार्वजनिक तौर पर किया था। प्रसिद्ध उस्ताद विलायत खान की यह शिष्या पटेल ने हाल ही में उचित संरक्षण के लिए अपना कीमती सितार म्यूजियम को दिया है।
इस सितार को बाबूलाल सी मिस्त्री परिवार की दूसरी पीढ़ी के सोमाभाई मिस्त्री द्वारा बनाया गया था, जो भारत के उन कुछ परिवारों में से एक है जिन्होंने 150 वर्षों से अधिक समय से भारतीय तार वाले वाद्ययंत्र बनाने की परंपरा को जारी रखा है।
सितार की विशेषता
यह सितार की एक खराज-लाराज शैली है जिसमें जर्मन सेल्युलाईट शीट का सारा काम किया गया है। यह शुद्ध ‘सेवन’ लकड़ी से बना है, इसमें दो कद्दू हैं और तारों को पकड़ने वाला पुल हिरण के सींगों से बना है। मुख्य खूंटियाँ (पिन या बोल्ट) जिन पर सितार के सात तार जुड़े होते हैं, गुलाब की कलियों के आकार में डिज़ाइन किए गए हैं। निचली तरफ की खूंटियाँ जिन्हें ‘तरब’ के नाम से जाना जाता है, बत्तख के आकार की हैं।
इस सितार के अलावा, न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट को हसुबेन पटेल से दो अन्य सितार उपहार के रूप में मिले हैं।
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