इसरो आज यानी 18 अगस्त को शाम करीब 4 बजे चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को डीबूस्टिंग के जरिए थोड़ी निचली कक्षा में लाया जाएगा। डीबूस्टिंग यानी स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को धीमी करना। इसके बाद यह चांद की सतह के और नजदीक, यानी 100 गुणा 100 किमी और फिर 100 किमी गुणा 30 किमी कक्षा की ओर बढ़ेगा।
इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी रह जाएगी। ये प्रोसेस 20 अगस्त को भी होगी। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे सॉफ्ट लैंडिंग होगी।
इसरो के मुताबिक, लैंडर 163 किमी गुणा 153 किमी की कक्षा में चांद की परिक्रमा कर रहा है। चंद्रमा पर अभी रात है, जो 22 अगस्त तक रहेगी। यह धरती के 14 दिन के बराबर होती है।
बता दें कि 22 दिन के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। उस दौरान उसकी रफ्तार कम की गई थी। जिससे यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके। रफ्तार धीमी करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1,835 सेकेंड मतलब लगभग आधे घंटे के लिए फायर किया था। ये फायरिंग शाम 7:12 बजे की गई थी।
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