प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस हफ्ते की शुरुआत में पूरे देश में CAA लागू किया गया है। इसमें 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए नागरिकता प्रदान करने के नियमों को अधिसूचित किया गया था। इसे लेकर पूरे देश में हलचल मच चुकी है। कुछ लोग इसका समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ लोग विरोध। आम जनता के साथ विपक्ष भी इस बिल को लेकर लोकसभा चुनावों के पहले अपनी राजनीति खेल रहा है। विपक्ष सवाल पे सवाल किए जा रहा है जिसका जवाब हालही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिया है।
कांग्रेस के मुताबिक केंद्र सरकार ने मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक एक महीने पहले सीएए के नियमों को अधिसूचित किया है। AAP के नेता अरविंद केजरीवाल ने सवाल किया कि भारत आने वाले शरणार्थियों के लिए नौकरियां, घर और संसाधन कहां से आएंगे। और तो और सीएए के लागू होने से 1947 से भी बड़ा प्रवासन होगा। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में 2.5 करोड़ से 3 करोड़ अल्पसंख्यक हैं। यदि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए दरवाजे खोल दिए जाएं तो अकल्पनीय संख्या में लोग भारत आएंगे। DMK प्रवक्ता T.K.S. Elangovan ने केंद्र से पूछा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में रहने वाले उन लोगों का क्या होगा जो भारत वापस आना चाहते हैं क्योंकि वे सभी मुस्लिम हैं। ऐसे ही हिम्मंत ने कहा कि असम में CAA पूरी तरह महत्वहीन है।
इन सभी सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के नियमों के तहत सभी को समान अधिकार दिए जाएंगे क्योंकि प्रताड़ित शरणार्थी अब भारत के नागरिक बन जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि मुसलमानों को CAA में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश इस्लामिक राज्य हैं। फिर वहां मुसलमान धार्मिक अल्पसंख्यक कैसे हो सकते हैं?
आगे उन्होंने बताया की “हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना हमारा संप्रभु अधिकार है, हम इस पर कभी समझौता नहीं करेंगे और सीएए कभी वापस नहीं लिया जाएगा।” उन्होंने उस निंदा को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि नागरिकता कानून “असंवैधानिक” है और यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है।
शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले सीएए नियमों को अधिसूचित करने के समय पर विपक्ष के कटाक्ष का भी जवाब दिया और कहा, “सबसे पहले मैं समय के बारे में बात करूंगा। राहुल गांधी, ममता या केजरीवाल सहित सभी विपक्षी दल झूठ की राजनीति में शामिल हैं, इसलिए समय का सवाल ही नहीं उठता।” इसके अलावा उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी आलोचना की, उनकी उस टिप्पणी के लिए जिसमें उन्होंने कहा था कि CAA उन नौकरियों को छीन लेगा जो देश के युवाओं के लिए हैं और इससे अपराध दर में वृद्धि हो सकती है। शाह ने कहा कि जिन लोगों को इस कानून से फायदा होगा वे पहले से ही भारत में हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने CAA अधिसूचना पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की टिप्पणी देते हुए कहा, “वे दिन दूर नहीं, जब BJP वहां (पश्चिम बंगाल) सत्ता में आएगी और घुसपैठ रोकेगी. अगर आप इस तरह की राजनीति करेंगे और इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर तुष्टीकरण की राजनीति कर घुसपैठ करायेंगे और शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का विरोध करेंगे, तो जनता आपके साथ नहीं होगी। ममता बनर्जी को शरणार्थी और घुसपैठ दोनों शब्दों के बीच का अंतर ही नहीं पता है।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी तंज कस्ते हुए उन्होंने कहा कि “मैं ममता जी से अनुरोध कर रहा हूं कि राजनीति करने के लिए कई मंच हैं, लेकिन कृपया बांग्लादेश से आने वाले बंगाली हिंदुओं को नुकसान न पहुंचाएं। मैं ममता को सार्वजनिक रूप से चुनौती देता हूं कि वह ऐसा एक खंड बताएं जिसमें किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का प्रावधान हो। टीएमसी प्रमुख का इरादा “वोट बैंक को मजबूत करने” के लिए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच अंतर पैदा करना है।”
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा CAA को एंटी मुस्लिम कहे जाने पर अमित शाह ने कहा- “क्या तर्क है ? मुसलमानों पर इसलिए धार्मिक प्रताड़ना नहीं हो सकती क्योंकि तीनों देश घोषित इस्लामिक स्टेट हैं। इस कानून में NRC का कोई प्रावधान नहीं है, इस कानून में किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है।’
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