27-11-2023
करोड़ों भक्तों की अखंड आस्था के केंद्र प्रथम ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ मंदिर में हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा की मध्य रात्रि में 12:00 बजे अद्भुत खगोलीय सहयोग बनता है। जिसमें वर्ष में मात्र एक बार कार्तिक पूर्णिमा की रात को चांद ,सोमनाथ मंदिर के शिखर पर स्थित त्रिशूल,ध्वज दंड और श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग एक ही क्षितिज में आते हैं। माना जाता है कि चंद्र देव को क्षय रोग से शिवजी ने जिस जगह मुक्ति दी थी उसी स्थान पर श्री सोमनाथ महादेव का अभिषेक करने के लिए प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा की रात को चंद देव खुद आते है। और अपनी शीतल चांदनी से श्री सोमनाथ महादेव का अभिषेक करते हैं। इस सयोग को अमृत वर्षा योग के तौर पर जाना जाता है। मान्यता है कि अमृत वर्षा के दर्शन करने वाले भक्तों की तमाम मनोकामना पूर्ण होती है। जिसके चलते देश-विदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में सोमनाथ पहुंचे। इस मौके पर सोमनाथ मंदिर में रात्रि 11:00 बजे पूजा की गई और परंपरा अनुसार मध्य रात्रि 12:00 बजे महादेव की महा आरती की गई। इस मौके पर जय सोमनाथ के नाद के साथ मंदिर परिसर गूंज उठा।
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