29-08-2023
चंद्रयान और मंगलयान के बाद ISRO अब सूर्य पर स्पेसक्राफ्ट भेजने वाला है। सूर्य का अध्ययन करने वाले स्पेसक्राफ्ट का नाम आदित्य L1 रखा गया है। आदित्य L1 नाम संस्कृत से लिया गया है, संस्कृत भाषा में आदित्य यानी सूर्य होता है और L1 इसीलिए क्योंकि ये जिस जगह पर प्लेस होगा उसे लैग्रेंज-1 कहा जाता है।
मिशन के बारे में ISRO ने जानकारी देते हुए बताया की इसे 2 सितंबर, 2023 के दिन सुबह 11.50 पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। PSLV C57 के माध्यम से इसे लॉन्च किया जाएगा। साथ ही ISRO ने मिशन लॉन्च होते देखने के लिए जनता को भी आमंत्रित किया है। अगर कोई लाइव लॉन्च देखना चाहता है तो उसे रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, रजिस्ट्रेशन 29 अगस्त से शुरू हो जायेंगे। इसके लिए आपको वेबसाइट से फॉर्म भरना होगा जिसका लिंक ISRO ने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया है।
सब से पहले बता दे, इस अंतरिक्ष यान को सूर्य की बाहरी परतों (कोरोना) का ऑब्जर्वेशन और सूर्य-पृथ्वी लाग्रेंज बिंदु (L1) पर सौर वायु के ऑब्जर्वेशन के लिए तैयार किया गया है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा की L1 क्या है, तो जान लीजिए कि एल1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है।
L1 लैग्रेंज पॉइंट का नाम इटालियन-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है। यह सामान्य तौर पर एल-1 के नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्युगल फोर्स बन जाता है।
ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी से दोनों के बीच स्थिर रहता है और एनर्जी भी कम लगती है। पहला लैग्रेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। आम शब्दों में कहें तो एल-1 ऐसा पॉइंट है जहां पर कोई भी ऑब्जेक्ट सूर्य और धरती से बराबर दूरी पर स्थिर रह सकता है।
आदित्य यान L1 पॉइंट पर ही क्यों भेजा जाएगा?
आदित्य यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसरो का कहना है कि L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी।
उम्मीद की जा रही है कि आदित्य L1 के पेलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटीज की विशेषताओं, पार्टिकल्स की मूवमेंट और स्पेस वेदर को समझने के लिए जानकारी देंगे।
बता दे, आदित्य L1 देश की संस्थाओं की भागीदारी से बनने वाला पूरी तरह स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसके पेलोड बनाए हैं। जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है।
यूवी पेलोड का इस्तेमाल कोरोना और सोलर क्रोमोस्फीयर पर, जबकि एक्स-रे पेलोड का इस्तेमाल सूर्य की लपटों को देखने के लिए किया जाएगा। पार्टिकल डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड, चार्ज्ड पार्टिकल के हेलो ऑर्बिट तक पहुंचने वाली मैग्नेटिक फील्ड के बारे में जानकारी देंगे।
चंद्रयान 3 के बाद ISRO का बड़ा मिशन होने जा रहा है।
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