प्रयागराज : महाकुंभ मेला क्षेत्र में रविवार को एक भयावह आग ने तबाही मचाई, लेकिन प्रशासन और सुरक्षा बलों की तत्परता और समन्वय से बड़ी घटना टल गई। गीता प्रेस के कैंप में आग लगी, जिसके परिणामस्वरूप 180 से ज्यादा कॉटेज जलकर राख हो गए। हालांकि, समय रहते किए गए प्रयासों के कारण कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई।
जब आग की लपटें शास्त्री ब्रिज के पास सेक्टर-19 में गीता प्रेस के कैंप से उठती दिखीं, तो प्रशासन ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। आग लगने के 10 मिनट के भीतर ही 600 से अधिक जवान, जिसमें पुलिस, फायर ब्रिगेड, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य राहत कार्यकर्ता शामिल थे, मौके पर पहुंच गए। आग बुझाने के लिए 32 फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ और आधुनिक तकनीक से लैस उपकरणों का इस्तेमाल किया गया। एक घंटे के भीतर आग पर काबू पा लिया गया, और राहत कार्यों को तेजी से पूरा किया गया।
क्विक रिस्पांस और टीमवर्क की मिसाल
आग लगने की सूचना मिलते ही सभी संबंधित टीमें अलर्ट मोड में आ गईं। उत्तर प्रदेश पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक भानु भास्कर ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के तीन मिनट बाद ही पुलिस और फायर सर्विस की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गईं। स्थानीय पुलिस ने त्वरित कदम उठाते हुए रास्ते को खाली कराया, जिससे फायर ब्रिगेड और अन्य राहत टीमें आसानी से घटना स्थल तक पहुँच सकीं।
मेला क्षेत्र में मौजूद पुलिसकर्मियों ने न केवल आग से प्रभावित क्षेत्र को घेरा, बल्कि वहां से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भी भेजा। फायर ब्रिगेड की टीम और एनडीआरएफ ने मिलकर ज्वलनशील पदार्थों से बचाव किया, और किचन में रखे सिलेंडरों को हटाकर खतरे को कम किया।
आधुनिक उपकरणों और समन्वय से राहत कार्य में सफलता
इस मौके पर महाकुंभ मेला क्षेत्र में तैनात उच्च तकनीकी उपकरणों ने भी अपना अहम योगदान दिया। 35 मीटर की ऊंचाई तक आग बुझाने में सक्षम आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर (LWT) का इस्तेमाल किया गया, जिससे उच्च स्थानों पर स्थित आग पर काबू पाया जा सका। साथ ही, हाईप्रेशर फ्लोटिंग पंप का इस्तेमाल कर जल आपूर्ति को सुनिश्चित किया गया, जिससे आग बुझाने में मदद मिली।
एनडीआरएफ के डीआईजी एमके शर्मा ने बताया कि यह एक उत्कृष्ट टीमवर्क का उदाहरण था, जहां सभी एजेंसियां एक साथ मिलकर काम करती हैं। आग को नियंत्रित करने में होने वाली समस्याओं को सुलझाने में सभी टीमों ने बखूबी अपना कर्तव्य निभाया।
चुनौतियाँ और उनके समाधान
आग पर काबू पाने के दौरान कई चुनौतियाँ सामने आईं, जिनमें सबसे पहली थी आग के तेजी से फैलने का खतरा। चूंकि टेंट और आसपास के इलाके ज्वलनशील थे, इसलिए प्रशासन ने पहले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा और फिर आग बुझाने का काम शुरू किया। दूसरी चुनौती भगदड़ की स्थिति से निपटना था, जिसे पुलिस ने रास्ते ब्लॉक कर और भीड़ को नियंत्रित करके सुलझाया। तीसरी चुनौती अफवाहों का फैलना था, जिसे प्रशासन ने मीडिया से संपर्क कर तुरंत सही जानकारी प्रदान की और लोगों को शांति बनाए रखने की सलाह दी।
महाकुंभ मेले में यह घटना हमें यह दिखाती है कि संकट के समय में यदि त्वरित प्रतिक्रिया और बेहतर टीमवर्क हो, तो किसी भी आपात स्थिति से निपटना संभव होता है। प्रशासन और सुरक्षा बलों की यह प्रतिक्रिया वास्तव में सराहनीय है, जो बिना किसी बड़ी जनहानि के इस आग पर काबू पाने में सफल रहे। यह घटना यह भी दर्शाती है कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में सुरक्षा के उपायों को पहले से सुनिश्चित करना और हर स्थिति के लिए तैयार रहना बेहद महत्वपूर्ण है।
More Stories
कोलकाता के रेप-मर्डर मामले में दोषी को उम्रकैद, पीड़ित परिवार ने मुआवजा लेने से किया इनकार
दिल्ली चुनावी महासंग्राम: AAP और BJP के बीच आपराधिक आरोप और हिंसा पर तीखी बहस
जानें कौन हैं हिमानी मोर, जिनसे ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा ने रचाई शादी