16 जनवरी 2025 की रात कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के बाहर उन मरीजों से मुलाकात की, जो कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे थे। यह मुलाकात देर रात हुई, जब राहुल गांधी ने उन मरीजों और उनके परिवारों से बातचीत की, जो न केवल बीमारी से जूझ रहे थे, बल्कि ठंड और बुनियादी सुविधाओं की कमी से भी प्रभावित थे।
राहुल गांधी ने इस अनुभव को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए तस्वीरें पोस्ट कीं और अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने लिखा, “बीमारी का बोझ, ठिठुरती सर्दी और सरकारी असंवेदनशीलता – आज AIIMS के बाहर उन मरीजों और उनके परिवारों से मिला, जो इलाज की उम्मीद में दूर-दराज से आए हैं। ठंडी सड़कों, फुटपाथों और सबवे स्टेशनों में सोने को मजबूर हैं। भूख, असुविधाओं और ठंडी जमीन के बावजूद सिर्फ उम्मीद की एक किरण लिए बैठे हैं।” उन्होंने केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह से असफल करार दिया।
राहुल गांधी का यह कदम, सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और नागरिकों की समस्याओं पर एक तीखा हमला था। उनके अनुसार, मरीजों को ऐसी स्थितियों में संघर्ष करना पड़ता है, जहां बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद नहीं होतीं। उनके इस दौरे को सरकार की असंवेदनशीलता की ओर ध्यान आकर्षित करने के तौर पर देखा जा रहा है।
राहुल गांधी का यह कदम उन मरीजों की वास्तविक स्थिति को उजागर करने में महत्वपूर्ण है, जिन्हें अक्सर अनदेखा किया जाता है। यह दिखाता है कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में न केवल सुधार की आवश्यकता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राजनीतिक नेताओं को ऐसे मुद्दों पर समय रहते सक्रिय कदम उठाने चाहिए, न कि सिर्फ ऐसे क्षणों में ध्यान आकर्षित करने के लिए आना चाहिए। हालांकि, उनका यह कदम एक सशक्त संदेश देता है कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच पर सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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