भारत और बांग्लादेश के बीच मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति के बीच भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री नौ दिसंबर को ढाका का दौरा करेंगे। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देशों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्तों में खटास देखी जा रही है।
बांग्लादेश में शेख़ हसीना के सत्ता छोड़ने और मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद से भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तनाव बढ़ा है। भारत ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय समेत अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों और उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। वहीं, बांग्लादेश इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे भारत का आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बता रहा है।
शेख़ हसीना, जिनके शासनकाल में भारत-बांग्लादेश संबंध स्थिर बने रहे, पांच अगस्त से भारत में रह रही हैं। उनकी अनुपस्थिति में भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी समझ और विश्वास की कमी बढ़ती दिख रही है।
विक्रम मिस्री का ढाका दौरा: क्या हैं प्राथमिकताएं?
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि विक्रम मिस्री ढाका में अपने समकक्ष समेत अन्य बांग्लादेशी अधिकारियों के साथ कई महत्वपूर्ण बैठकें करेंगे। यह दौरा भारत-बांग्लादेश संबंधों में उत्पन्न अस्थिरता को कम करने और आपसी संवाद को मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा है।
हालिया विवाद और इसके प्रभाव
पिछले हफ्ते त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में बांग्लादेश के उप-उच्चायोग पर हुए हमले ने स्थिति को और जटिल बना दिया। बांग्लादेश ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी, जिसके बाद भारत ने खेद जताते हुए कार्रवाई की। इसके बावजूद बांग्लादेश ने अगरतला में वीज़ा सेवाएं बंद कर दीं और अपने कोलकाता और अगरतला के उप-उच्चायुक्तों को वापस बुला लिया।
सामरिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने विक्रम मिस्री के इस दौरे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और अवामी लीग के समर्थकों पर हमले जारी हैं। वहीं, मोहम्मद युनूस की नई सरकार भारत को काउंटर करने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में इस दौरे से भारत को क्या लाभ होगा, यह स्पष्ट नहीं है।
बांग्लादेश में वर्तमान सरकार और भारत के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद विक्रम मिस्री का यह दौरा संवाद का एक रास्ता खोलने का प्रयास हो सकता है। हाल के घटनाक्रमों ने दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित किया है, लेकिन इस दौरे से संबंधों को सुधारने की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं।
भारत और बांग्लादेश के बीच मौजूदा हालात दोनों देशों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं। विक्रम मिस्री का यह दौरा कूटनीतिक स्तर पर संबंधों को स्थिर करने का प्रयास है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या इस दौरे से दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली और विवादों का समाधान हो पाता है या नहीं।
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