गुजरात के गांधीधाम में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक फर्जी प्रवर्तन निदेशालय (ED) टीम ने ज्वेलर के घर और दुकान पर छापेमारी की, और नकद राशि तथा आभूषण लूट लिए। पुलिस ने इस मामले में 12 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि एक आरोपी फरार है।
घटनाक्रम: फर्जी ED टीम की करतूत
यह घटना 2 दिसंबर 2024 की है, जब आरोपियों ने राधिका ज्वैलर्स नामक दुकान और ज्वेलर के घर पर ED के अधिकारियों के रूप में छापा मारा। उन्होंने खुद को ED की टीम बताया और दावा किया कि वे जांच कर रहे हैं। इस दौरान आरोपियों ने दुकान से 22.25 लाख रुपये की नकदी और कई कीमती आभूषण चुरा लिए।
सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था और कानूनी प्रक्रियाओं के बीच इस तरह की धोखाधड़ी की वारदात ने हर किसी को चौंका दिया। ज्वेलर ने बाद में पुलिस को इसकी सूचना दी और पुलिस ने मामले की तहकीकात शुरू की। जांच में यह खुलासा हुआ कि ED द्वारा कोई छापेमारी नहीं की गई थी, और सभी आरोपियों ने फर्जी ED अधिकारी बनकर यह अपराध अंजाम दिया था।
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
इस जानकारी के बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए कई टीमें गठित की। इसके परिणामस्वरूप, भरत मोरवाडिया, देवायत खाचर, अब्दुलसत्तार मंजोथी, हितेश ठक्कर, विनोद चूडासमा, यूजीन डेविड, आशीष मिश्रा, चंद्रराज नायर, अजय दुबे, अमित मेहता, उनकी पत्नी निशा मेहता और शैलेंद्र देसाई को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने आरोपियों से 22.27 लाख रुपये के सोने के आभूषण और तीन कारें भी जब्त की हैं।
हालांकि, इस साजिश में शामिल विपिन शर्मा अभी भी फरार है।
साजिश का खुलासा
पूरे मामले की साजिश का मुख्य रचनाकार भरत मोरवाडिया था। गांधीधाम निवासी भरत को राधिका ज्वैलर्स पर छापेमारी करने का आइडिया तब आया जब उसे जानकारी मिली कि करीब छह साल पहले आयकर विभाग ने इस दुकान पर छापा मारा था और बड़ी रकम जब्त की थी। इसके बाद, उसने यह जानकारी अपने सहयोगी देवायत खाचर को दी, और फिर इस साजिश को अंजाम देने के लिए अन्य लोगों को भी शामिल किया।
15 दिन पहले, आदिपुर कस्बे में एक चाय की दुकान पर बैठक कर इस छापेमारी की योजना बनाई गई थी, और इसके बाद यह फर्जी छापेमारी 2 दिसंबर को सफलतापूर्वक अंजाम दी गई।
आरोपी और उनके रिश्ते
अब्दुलसत्तार मंजोथी, जो खुद को पत्रकार बताता है, पहले भी विवादों में रह चुका है। इसके खिलाफ जामनगर जिले में रंगदारी और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज है। इस मामले में यह और भी चौकाने वाली बात बन जाती है कि एक पत्रकार जैसे व्यक्ति ने इस तरह की साजिश में भाग लिया, जो समाज में एक नकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
यह घटना न केवल समाज की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अपराधी अब किसी भी सीमा तक जा सकते हैं, चाहे वह सरकारी एजेंसियों की छवि का ध्वस्त करना हो या आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाना। ऐसे मामलों में जांच और सख्त कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसे धोखाधड़ी के मामलों को रोका जा सके।
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि समाज में विश्वास और सुरक्षा की भावना को बनाए रखने के लिए जांच एजेंसियों और पुलिस को एकजुट होकर कार्य करना होगा। फर्जी अधिकारी या समूहों द्वारा की जाने वाली ऐसी घटनाओं को न केवल अपराध की श्रेणी में लाया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि समाज में ऐसे अपराधियों के लिए कोई जगह न हो।
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