CATEGORIES

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
Sunday, December 22   8:28:50
Dussehra 2024

दशहरा: बुराई पर अच्छाई की जीत का महापर्व

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख और पवित्र त्यौहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पर्व हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमें जीवन के सकारात्मक मूल्यों और नैतिकता की याद दिलाता है।

दशहरे का पौराणिक महत्व

दशहरे के पीछे दो प्रमुख पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं। पहली कथा भगवान श्रीराम और रावण के युद्ध से जुड़ी है। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध कर माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराया था। इस दिन को बुराई के अंत और धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है।

दूसरी कथा देवी दुर्गा से जुड़ी है, जिन्होंने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था। देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक लगातार युद्ध कर महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है, जो ‘विजय’ और ‘दशमी’ यानी दसवां दिन का प्रतीक है।

दशहरे का सांस्कृतिक महत्व

भारत के विभिन्न राज्यों में दशहरा अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में रावण, मेघनाथ, और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। रावण दहन बुराई के विनाश का प्रतीक है और यह संदेश देता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में सत्य और न्याय की विजय होती है।

पश्चिम बंगाल में दशहरा के साथ दुर्गा पूजा का समापन होता है। यहाँ दुर्गा मां की प्रतिमा का विसर्जन धूमधाम से किया जाता है। मैसूर में इस दिन विशेष जुलूस निकाला जाता है, जिसमें हाथी, घोड़े और सजाए गए रथों के साथ भगवान की मूर्तियों को लेकर शोभायात्रा निकाली जाती है। वहीं गुजरात में गरबा और डांडिया का उत्साह चरम पर होता है।

समाज में दशहरे का संदेश

दशहरा का त्यौहार हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, यदि हम सत्य और धर्म के मार्ग पर चलते हैं तो बुराई पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। यह पर्व हमें अन्याय के खिलाफ लड़ने, अपने अंदर की बुराइयों को पहचानने और उनसे मुक्ति पाने की प्रेरणा देता है।

आधुनिक युग में दशहरा

आधुनिक समाज में भी दशहरे का महत्व कम नहीं हुआ है। यह पर्व न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने का अवसर भी है। हर साल इस पर्व पर लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ खुशी मनाते हैं, जिससे समाज में भाईचारे और सौहार्द्र का विकास होता है।

दशहरा हमें यह याद दिलाता है कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, सत्य और अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यही कारण है कि यह त्यौहार हर वर्ष हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है।

दशहरा महज एक त्यौहार नहीं, बल्कि जीवन के उन आदर्शों का प्रतीक है, जो हमें बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देते हैं। यह पर्व हमें अपने अंदर की नकारात्मकता से लड़ने और अच्छाई की ओर अग्रसर होने का संदेश देता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के इस महापर्व पर हमें यही संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में सदैव सत्य और धर्म का पालन करेंगे।