CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Saturday, November 23   7:50:02

वडोदरा की बाढ़ में डूबीं 2,000 साल पुरानी बुद्ध मूर्तियाँ, धरोहर पर मंडराया संकट

वडोदरा में हुई मूसलधर बारिश ने शहर को तबाह कर दिया, और इसके साथ ही एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर को भी क्षति पहुंचाई है, जो  MSU  के पुरातत्व और प्राचीन इतिहास विभाग के तहखाने में सुरक्षित थी।

भारी बारिश के कारण वडोदरा में बाढ़ आई, जिससे एमएसयू के विभाग में स्थित तहखाना जलमग्न हो गया। इसमें देवनी मोरी, उत्तर गुजरात से खुदाई में प्राप्त भगवान बुद्ध की 2,000 साल पुरानी टेराकोटा मूर्तियाँ रखी थीं। इन मूर्तियों के साथ अन्य पुरातात्विक धरोहरें भी तहखाने में संरक्षित थीं, जो अब जलभराव के कारण खतरे में आ गई हैं।

यह घटना 26 अगस्त की रात से शुरू हुई, जब से विभाग के भवन के तहखाने में पानी भरना शुरू हुआ। बाढ़ का पानी भुखी नाले से होकर तहखाने में प्रवेश कर गया, जिससे यह पूरी तरह जलमग्न हो गया।

एमएसयू के पुरातत्व और प्राचीन इतिहास विभाग में स्थित तहखाना, जो वडोदरा के फैकल्टी ऑफ आर्ट्स में स्थित है, में यह घटना घटी। यह तहखाना दशकों से पुरातात्विक धरोहरों और अन्य महत्वपूर्ण सामग्रियों के संरक्षण के लिए उपयोग में लिया जाता रहा है।

वडोदरा में हुई बारिश और भुखी नाले से आया पानी विभाग के भवन में प्रवेश कर गया, जिससे तहखाने में रखी धरोहरें जलमग्न हो गईं। इस तरह की स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई थी, और यह पहली बार है जब बाढ़ का पानी विभाग के तहखाने में प्रवेश किया है।

भगवान बुद्ध की लगभग 15 टेराकोटा मूर्तियाँ और देवनी मोरी स्थल से प्राप्त अन्य पुरातात्विक धरोहरें, जिन्हें एमएसयू के प्रोफेसर बी. सुब्बाराव और उनकी टीम ने 1963 में खोजा था, इस घटना से प्रभावित हुई हैं। इस घटना से पुरातत्वविदों और शिक्षकों के मन में चिंता बढ़ गई है कि ये अनमोल धरोहरें कहीं क्षतिग्रस्त न हो जाएं।

तहखाने में बाढ़ का पानी भर गया, जिससे यह पूरा इलाका जलमग्न हो गया। हालांकि, शिक्षकों को उम्मीद है कि मूर्तियों को तहखाने में एक ऊंचे मंच पर रखा गया था, जिससे शायद वे इस आपदा से सुरक्षित रह सकें। फिर भी, नुकसान की पूरी जानकारी तब ही मिलेगी जब तहखाना पूरी तरह से सूख जाएगा।

यह घटना वडोदरा के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के प्रति एक गंभीर चेतावनी है। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि तहखाने के पानी से निकाली गईं धरोहरें सुरक्षित हैं या नहीं।