श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूरे देश में 30 अगस्त को मनाई जा रही है। मथुरा नगरी में असुरराज कंस के कारागृह में माता देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को अवतरित हुए। कई वर्षों के बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर असमंजस की स्थिति नहीं है, क्योंकि इस वर्ष अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा और सोमवार का अद्भुत संयोग बन रहा है।
मान्यत: वैष्णव और स्मार्त सम्प्रदाय को मानने वाले लोग इस त्यौहार को अलग-अलग नियमों से मनाते हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार वैष्णव वे लोग हैं, जिन्होंने वैष्णव संप्रदाय में बतलाए गए नियमों के अनुसार विधिवत दीक्षा ली है। ये लोग अधिकतर अपने गले में कण्ठी माला पहनते हैं और मस्तक पर विष्णुचरण का चिन्ह (टीका) लगाते हैं। इनके अलावा सभी लोगों को धर्मशास्त्र में स्मार्त कहा गया है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वे सभी लोग, जिन्होंने विधिपूर्वक वैष्णव संप्रदाय से दीक्षा नहीं ली है, स्मार्त कहलाते हैं। सामान्य भाषा में कहा जाये तो जो स्मृतियों को मानते हैं वे सभी स्मार्त कहलाते हैं।
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