पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस बुधवार यानी आज राष्ट्रीय स्तर पर शहीद दिवस मनाएगी। टीएमसी के गठन के बाद से हर साल 21 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन कोरोना के चलते पिछले साल तृणमूल ने शहीद दिवस को सांकेतिक तौर पर मनाया गया था। इसे पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश मानी जा रही है। आइए बताते हैं कि ममता के लिए 21 जुलाई का इतना महत्व क्यों हैं? आखिर 21 जुलाई 1993 को ऐसा क्या हुआ था, जो अब तक नहीं भूल पाईं ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता इस कार्यक्रम में अपना भाषण तो बांग्ला में ही देंगी, लेकिन उसे अलग-अलग राज्यों जैसे केरल में मलयालम, आंध्र व तेंलगाना में तेलुगू तो ओडिशा में उड़िया और हिंदी पट्टी के सभी प्रदेशों में वह हिंदी भाषा में सुनाया जाएगा। ममता का मानना है कि यदि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में उतरना है तो पूरे देश की जनता से उन्हीं की भाषा में बात करनी होगी।
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