CATEGORIES

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
Friday, December 27   5:36:15

85 साल के बुजुर्ग ने 40 वर्ष के युवक के लिए खाली किया कोरोना बेड

महाराष्ट्र का नागपुर कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है।नागपुर में हालात बेहद खराब हैं और अस्पतालों में बेड-ऑक्सीजन की किल्लत भी बनी हुई है। इसी बीच 85 वर्षीय बुजुर्ग ने मानवता की एक ऐसी मिसाल पेश की है जिसे सुनकर लोगों की आंखों में आंसू आ जा रहे हैं। 85 साल के बुजुर्ग RSS स्वयंसेवक नारायण भाऊराव दाभाडकर ने बीते दिनों एक युवक के लिए अपना अस्पताल बेड छोड़ दिया। उन्होंने डॉक्टर्स से कहा कि मैं तो अपनी जिंदगी जी चुका हूं, इसके सामने पूरा जीवन बाक़ी है। अस्पताल से भाऊराव घर लौट गए जहां तीन दिन बाद उनकी मौत हो गई।

आरएसएस के स्वयंसेवक नारायण राव दाभाडकर की इस कहानी को सोशल मीडिया पर काफी लोग शेयर कर रहे हैं।

बीते दिनों एक महिला अपने 40 वर्षीय कोरोना संक्रमित पति के लिए बेड ढूंढते हुए इस अस्पताल पहुंची थीं।बेड नहीं था और महिला पति की जान के लिए जोर-जोर से रो रही थी।महिला का रोना सुनकर दाभाडकर अपने बेड से उठ गए और उन्होंने डॉक्टर्स को बुलाकर कहा कि वे घर जा रहे हैं और उनका बेड इस युवक को दे दिया जाए। दाभाडकर ने कहा- मैं अपनी पूरी जिंदगी देख चुका हूं, इनके छोटे-छोटे बच्चे हैं जो अनाथ हो जाएंगे।ये बेड इन्हें दे दीजिये।जब दाभाडकर ने ये कहा उस दौरान भी उनका ऑक्सीजन लेवल 60 था और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। हालांकि उनके सामने डॉक्टर्स की एक नहीं चली और वे घर लौट गए।

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर बताया है कि नारायणराव दाभाडकर के आग्रह पर अस्पताल प्रशासन ने उनसे कागज पर लिखवाया कि वह दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से अपना बेड खाली कर रहे हैं।शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, ‘दूसरे व्यक्ति की प्राण रक्षा करते हुए श्री नारायण जी तीन दिनों में इस संसार से विदा हो गये।समाज और राष्ट्र के सच्चे सेवक ही ऐसा त्याग कर सकते हैं, आपके पवित्र सेवा भाव को प्रणाम!’

अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘मैं 85 वर्ष का हो चुका हूं, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं। ऐसा कह कर कोरोना पीड़ित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया।’ दाभाडकर की घर लौटने के तीन दिन बाद ही मृत्यु हो गई थी।