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गुजरात के यामिनी रॉय: प्रसिद्ध लोकशैली चित्रकार खोड़ीदास परमार

31-07-2023

लोकसाहित्य कि यदि बात करे तो भावनगर के निजी लोकशैली चित्रकला के धनी खोड़ीदास परमार का नाम सर्वोपरि है।
सौराष्ट्र की लोक साहित्य की यदि बात करें तो झवेरचंद मेघानी, कच्छ के दूले राय करणी, राम सिंह राठौड़ के साथ-साथ गोहिलवाड़ में भावनगर के प्रतिष्ठित लोक कलाकार खोड़ीदास परमार का अपना एक अलग विशिष्ट स्थान है। लोक शैली के चित्रों द्वारा खोड़ीदास परमार ने गुजरात, सौराष्ट्र को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ला दिया।


खोड़ी दास परमार का आज 94 वा जन्मदिन है।भावनगर में भाया भाई और वखत बा के घर उनका जन्म हुआ। उन्होंने कारीगरी और कसब को अपने चित्रों में उकेर कर विशिष्ट निजी लोकशैली की पहचान चित्र जगत को दी ।लोक कला के गहरे अभ्यास के लिए प्रजा जीवन के दिल तक वे पहुंचे। स्वर्गीय चित्रकार शांति शाह ने कहा था कि, खोड़ीदास परमार गुजरात के यामिनी रॉय हैं ।यामिनी रॉय बंगाल के प्रसिद्ध लोकशैली और लोक चित्रकार हैं । खोड़ीदास परमार का बचपन अपनी मां ,बहन ,भाभी, द्वारा की जाती कढ़ाई, बुनाई, और लोकगीतों को देख सुनकर बिता। इसी को उन्होंने अपने चित्र में उतारा ।सी वी फाइन आर्ट्स कॉलेज, विद्यानगर में कॉलेज काल के दौरान डॉ ईश्वर भाई दवे और तखत सिंह परमार के वे संपर्क में आए ।गुजरात साहित्य और लोक साहित्य संस्कृति में तब से उन्हें ज्यादा रूचि होने लगी। उनके चित्रांकन में लोककला तत्व परिवेश का सौंदर्य नजर आता है। भित्ति आलेखन, रचना, रेखा ,आकृति, के संयोजन के द्विपरिमाण का दर्शन और इसकी प्रयुक्ति जानकर लोक खिलौने, लोकबर के वस्त्रों के डिजाइंस , लोगों द्वारा उपयुक्त की जाती चीजों का अभ्यास कर उन्हें निजी स्वरूप की शुरुआत की।


1951 _52 में खोड़ी दास परमार ने देश भर में आयोजित चित्र प्रदर्शनी में भाग लेना शुरू किया। “श्यामसखी “और “एटरेस्ट” चित्रों को पारितोषिक भी मिले। भारत के विभिन्न शहरों और शारजाह में भी उनके चित्रों की प्रदर्शनी हुई। नेशनल गैलरी ,मॉडर्न आर्ट गैलरी, (नई दिल्ली) अमृतसर आर्ट गैलरी, उज्जैन गैलरी ,कश्मीर के महाराजा के निजी संग्रह में उनके अनेकों चित्र संरक्षित है ।


उन्हें अनेकों राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय अवार्ड्स से नवाजा गया है। गुजरात संगीत नाटक अकादमी का मेघानी लोककला अवार्ड भी उन्हें प्राप्त हुआ है। वह केवल एक निजी लोकशैली के चित्रकार ही नहीं, वरन् लोक साहित्य के लेखक और संशोधक भी रहे हैं। उनके लेख गुजरात के प्रतिष्ठित मेजेजिंस में अक्सर प्रकाशित होते रहे। तकरीबन 20 मूल्यवान ग्रंथों के लेखक चित्रकार खोड़ीदास परमार आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके प्रदान द्वारा से सदा जीवंत ही है। चित्रकला जगत में निजी लोकशैली के चित्रों का स्वर्गीय खोड़ीदास परमार का प्रदान अवर्णनीय है।