आज जब पूरी दुनिया लोकतंत्र की ओर बढ़ रही है, नेपाल में एक अलग ही तस्वीर उभर रही है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, नेपाल के कई युवा फिर से ‘राजशाही’ की मांग करते नजर आ रहे हैं। और इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है एक ऐसा चेहरा, जो कभी हथियारों की तस्करी करता था, लेकिन अब “हिंदू राष्ट्र” और “राजा वापस लाओ” जैसे नारों का झंडाबरदार बन गया है।
कौन है ये आंदोलन का चेहरा?
इस खबर के मुताबिक, इस राजशाही समर्थक ने साफ कहा – “हिंदू राष्ट्र चाहिए, राजा चाहिए।” कभी हथियारों की तस्करी में शामिल रहा यह व्यक्ति अब राष्ट्रवाद और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए खुद को समर्पित बता रहा है। दिलचस्प बात यह है कि यही व्यक्ति अब नेपाल के युवाओं के बीच एक ‘राष्ट्रवादी नेता’ के रूप में उभर रहा है।
आखिर क्यों बढ़ रही है राजशाही की मांग?
नेपाल में एक बड़ा वर्ग मौजूदा लोकतांत्रिक शासन से नाराज़ है। उनका मानना है कि देश की समस्याएं – बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सांस्कृतिक क्षरण – तब शुरू हुईं जब राजशाही को हटाकर लोकतंत्र लाया गया। ऐसे में उन्हें लगता है कि केवल राजा ही देश को फिर से उसकी पहचान दिला सकते हैं।
हिंसा या बदलाव?
“राजा के लिए मरेंगे या मार डालेंगे!” – यह नारा जितना आक्रोश से भरा है, उतना ही चिंता का विषय भी है। जब आंदोलन की बागडोर किसी पूर्व अपराधी के हाथ में हो, तो सवाल उठते हैं – क्या यह सचमुच एक सांस्कृतिक जागरूकता है या सिर्फ सत्ता की एक और भूख?
भारत के लिए क्या मायने हैं?
भारत और नेपाल सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से गहराई से जुड़े हुए हैं। ऐसे में नेपाल में बढ़ती राजशाही की मांग भारत को भी सतर्क कर सकती है। विशेषकर जब यह आंदोलन “हिंदू राष्ट्र” जैसे मुद्दों को हवा दे रहा हो।
नेपाल में बदलती राजनीति और जनता की सोच इस बात का संकेत है कि लोकतंत्र को केवल व्यवस्था के रूप में नहीं, बल्कि विश्वास और परिणाम के रूप में देखा जाता है। जब जनता को वह परिणाम नहीं मिलता, जिसकी उसे उम्मीद थी, तब वे इतिहास की ओर देखने लगते हैं। और शायद यही हो रहा है नेपाल में – एक बार फिर राजा की ओर देखने की शुरुआत।

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