वाराणसी—एक ऐसा शहर जिसे सिर्फ धार्मिक मान्यताओं का केंद्र नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की आत्मा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। गंगा के तट पर बसा यह पवित्र नगर अपने घाटों, मंदिरों और विशेषकर बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र यह मंदिर सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक और व्यवस्थागत दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।
हर साल लाखों श्रद्धालु, भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी, काशी विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस पवित्र स्थल पर पूजा-अर्चना कराने वाले पुजारियों को हर महीने कितनी सैलरी मिलती है?
जानिए पुजारियों की सैलरी
हाल ही में आई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने पुजारियों के वेतन में बढ़ोतरी की है। अब मुख्य पुजारी को ₹90,000 प्रति माह, कनिष्ठ पुजारी को ₹80,000 प्रति माह, और सहायक पुजारी को ₹65,000 प्रति माह वेतन दिया जा रहा है।
यह जानकारी कई लोगों को चौंका सकती है, क्योंकि आमतौर पर लोगों की यह धारणा होती है कि मंदिरों में सेवा करने वाले पुजारी बहुत कम वेतन में कार्य करते हैं। हालांकि, इतने प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक मंदिर में पुजारियों को अच्छी सैलरी मिलना एक सकारात्मक संकेत है, जो यह दर्शाता है कि धार्मिक सेवाओं को भी अब पेशेवर और गरिमामय दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।
शिव नगरी की अद्भुत मान्यता
काशी विश्वनाथ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में शिवभक्तों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि काशी स्वयं भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर स्थित है, जिस कारण इसे अजर-अमर नगरी कहा जाता है।
एक और मान्यता के अनुसार, जो भी व्यक्ति काशी में अपने प्राण त्यागता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि स्वयं महादेव उसके कान में तारक मंत्र का उच्चारण करते हैं, जिससे वह आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाती है।
काशी जैसे आध्यात्मिक केंद्र में कार्यरत पुजारियों को इतनी सैलरी मिलना न केवल उनके कार्य की महत्ता को स्वीकार करने जैसा है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत में अब धार्मिक कर्मकांड को भी एक संगठित, व्यवस्थित और सम्मानजनक सेवा के रूप में देखा जा रहा है।
जहां एक ओर सरकारी और निजी नौकरियों में वेतन और सुविधाएं आम बात हैं, वहीं धार्मिक सेवाओं से जुड़े लोगों को भी उचित मानदेय मिलना अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल युवा पीढ़ी को इस ओर आकर्षित किया जा सकता है, बल्कि एक नई पीढ़ी को आध्यात्मिक विरासत से जोड़ने में भी मदद मिल सकती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक चेतना का जीवंत उदाहरण है। यहां सेवा देने वाले पुजारियों को उचित वेतन देना, इस ऐतिहासिक स्थल की गरिमा को बनाए रखने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। जब आस्था और सम्मान, दोनों का संतुलन बना रहे, तभी संस्कृति भी सशक्त रूप में आगे बढ़ती है।

More Stories
राजस्थान के पूर्व मंत्री खाचरियावास के दरवाज़े पर ईडी की दस्तक ; 48 हज़ार करोड़ की चाल में उलझी सियासत!
बॉलीवुड के ‘भाईजान’ को बम से उड़ाने की धमकी देने वाला निकला मानसिक रोगी…वडोदरा से पुलिस ने पकड़ा
तमिलनाडु का एलान-ए-जंग ; केंद्र से टकराव में स्टालिन का संवैधानिक जवाब