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Saturday, March 15   6:37:03

“तुम अकेली नहीं हो” – VNM Foundation & VNM T.V की नई पहल

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के अवसर पर, VNM Foundation और VNM T.V ने आधिकारिक रूप से “तुम अकेली नहीं हो” प्रोजेक्ट के शुभारंभ की घोषणा की। इस मौके पर डॉ. मेघा जोशी ने महिलाओं की बदलती जीवनशैली के बारे में खुलकर चर्चा की और एक भावनात्मक नाटक प्रस्तुत किया, जिसने महिलाओं के मन में गहरे सवाल और जागरूकता पैदा किए और महिलाओं ने उत्सुकता के साथ अपनी भागीदारी दिखाई! स्त्री रोग विशेषज्ञों जैसे डॉ. सुष्मा बक्शी और डॉ. वर्षा प्रपन्ना ने इस अनोखी पहल को खूब सराहा और अपना सम्पूर्णत: सहयोग प्रदान किया। इस मौके पे संस्था ने स्त्रियों को इस पहल के बारे में अवगत किया और समाज की जागृत महिला के रूप में अगर वें चाहे तो किसी भी तरह का सहयोग करने का आमंत्रण दिया।
यह पहल महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है, जिन पर अक्सर समाज में खुलकर बात नहीं होती, जैसे मासिक धर्म, गर्भावस्था, प्रसवोत्तर डिप्रेशन, प्री-मेनोपॉज और मेनोपॉज।

क्या है “तुम अकेली नहीं हो” प्रोजेक्ट?*

यह सिर्फ एक जागरूकता अभियान नहीं, बल्कि एक नई सोच, एक बदलाव की शुरुआत है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को यह अहसास कराना है कि “वे अकेली नहीं हैं” और उनकी स्वास्थ्य समस्याएं आम हैं, जिनका समाधान संभव है। खासतौर पर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रहने वाली महिलाओं को इस पहल से जोड़कर, उनके जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है।

इस पहल के तहत, VNM Foundation स्लम क्षेत्रों और आंगनवाड़ियों में जाकर जागरूकता शिविरों का आयोजन कर रहा है, जहाँ महिलाओं को स्वास्थ्य समस्याओं, उपचारों और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर जानकारी दी जाती है।

क्यों जरूरी है यह पहल.?

भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर कई भ्रांतियां और सामाजिक मान्यताएं हैं, जिनकी वजह से महिलाएं अक्सर अपनी तकलीफों को छुपा लेती हैं। इस प्रोजेक्ट की जरूरत क्यों बढ़ रही है, इसका जवाब कुछ आंकड़ों से समझा जा सकता है —

प्रसवोत्तर अवसाद (Postpartum Depression – PPD): भारत में हर 10 में से 2 महिलाएं इस समस्या का सामना करती हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं।
रजोनिवृत्ति (Menopause): कई महिलाएं हार्मोनल बदलावों के कारण गंभीर समस्याओं से जूझती हैं, लेकिन जानकारी और इलाज के अभाव में इसे सहने को मजबूर हो जाती हैं। भारत में हुए अध्ययनों के अनुसार, लगभग 15% भारतीय महिलाएं रजोनिवृत्ति काल में हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रजोनिवृत्ति की दर शहरी क्षेत्रों से अधिक है। शहरी इलाकों में 15-39 वर्ष की महिलाओं में से लगभग 2.23% को समय से पहले रजोनिवृत्ति का अनुभव होता है।

किशोरियों का स्वास्थ्य: कम उम्र में विवाह और लगातार गर्भधारण से कई किशोरियों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।

रियल स्टोरी: जब 15 साल की बच्ची बनी तीन बच्चों की माँ!*

इस प्रोजेक्ट के तहत किए गए North Zone सर्वे में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। एक 15 वर्षीय किशोरी, जिसने तीन बच्चों को जन्म दिया, गंभीर कुपोषण और मानसिक तनाव से जूझ रही थी। यह केवल एक कहानी नहीं, बल्कि सैकड़ों बच्चियों की हकीकत है, जो कम उम्र में शादी, जागरूकता की कमी और सामाजिक दबाव का शिकार हो रही हैं।

क्या यह समय नहीं है कि हम इस स्थिति को बदलें.?
कैसे हो रहा है बदलाव?

“तुम अकेली नहीं हो” प्रोजेक्ट के तहत दो दिवसीय इंटरैक्टिव जागरूकता सत्र आयोजित किए गए, जिनमें इन विषयों पर चर्चा हुई —
इस प्रोजेक्ट के पहले आयोजन में VNM Foundation की टीम ने वडोदरा शमा के एक स्लम आंगनवाड़ी का दौरा किया साथ ही महिलाओं को प्रोजेक्ट “तुम अकेली नहीं हो”और उसके उद्देश्य के बारे में जागरूक किया गया साथ ही महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं के प्रति डॉ. माया मोदी ने काफी सारी जानकारी साझा की और उन महिलाओं के प्रश्नों को समझ कर उनका उत्तर दिया एवं उन्हें खान पान शारीरिक योग की महत्वता समझती नजर आई; और साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर एवं आशा कार्यकारों ने सहयोग प्रदान कर अपनी अहम भूमिका निभाई !

आयोजन के पहले दिन के प्रमुख मुद्दे
1-Postpartum Depression (PPD) – प्रसव के बाद महिलाओं में होने वाले मानसिक स्वास्थ्य बदलावों पर चर्चा।
2-Menopause & Pre-Menopause – हार्मोनल बदलाव और उनके समाधान।
3-Period Health & Myths – मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास।

सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं?
✔ स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता की कमी – महिलाएं अपनी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेतीं।
✔ अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियां – मासिक धर्म और गर्भावस्था से जुड़े मिथक अभी भी गहराई से जड़ें जमाए हुए हैं।
✔ शिक्षा की कमी – ग्रामीण इलाकों में अभी भी महिलाओं को प्रजनन स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित नहीं किया जाता।

समाधान: महिलाओं को सशक्त बनाने के VNM Foundation कि सबसे ज़रूरी पहल

✅ 1. स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता – स्लम एरिया में जाकर जरूरतमंद विस्तारो तक पहोंच कर महिलाओं को उनकी सेहत और देखभाल के बारे में जागरूक करना।
✅ 2. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना – प्रसवोत्तर अवसाद और हार्मोनल बदलावों को लेकर खुली बातचीत को बढ़ावा देना।
✅ 3.महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं और योजनाओं की जानकारी देना।

“तुम अकेली नहीं हो” – एक नई सोच, एक नई क्रांति

यह प्रोजेक्ट केवल एक शुरुआत है आने वाले समय में, इसे में और विस्तार लाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि हर महिला तक जागरूकता का प्रसार हो सके और वह ये महसूस कर सके कि वो अकेली नहीं है यह एक सामान्य स्थिति है जिससे हर महिला कभी ना कभी गुजरती है बस इससे बचाव के लिए सही खान पान और एक जागरूक शिक्षा की आवश्यकता है जिसके तहत वह ये जान सके कि उनकी सेहत सबसे ज्यादा मायने रखती है।

आप क्या सोचते हैं? महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण को बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम क्या हो सकता है? अपने विचार साझा करें!