दुनिया में पहली बार वैज्ञानिकों ने आईवीएफ (IVF) की मदद से दक्षिणी सफेद गैंडे का भ्रूण विकसित करने में सफलता हासिल की है। इस तकनीक की मदद से इस लुप्तप्राय प्रजाति को पुनर्जीवित करने की उम्मीद जागी है। प्रयोगशाला में विकसित भ्रूणों को केन्या के ओल पेजेटा कंजरवेंसी में एक मादा गैंडे की मांद में स्थानांतरित कर दिया गया।
स्थानांतरित किया गया यह भ्रूण 70 दिन का था। एक मादा गैंडे की जीवाणु संक्रमण से मृत्यु हो गई। वैज्ञानिकों के पास अब इस प्रकार के 30 भ्रूण हैं, जिससे दुनिया में इस नस्ल की केवल 2 मादा गैंडे ही बची हैं।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी में लेबनीज इंसटीट्यूट फॉर जू एंड वाइल्डलाइफ रिसर्च की वैज्ञानिक सुसैन होल्ज ने इसे बहुत बड़ा कदम बताया है। उनका कहना है कि अब हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि आने वाले वक्त में हम सफेद गैंडों जैसी विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने में कामयाब होंगे।
आमतौर पर हिंसक कहे जाने वाले ये सफेद गैंडे सेंट्रल अफ्रीका के जंगलों में मिलते थे, लेकिन अनकी सिंग की डिमांड अधिक होने के बाद इनका शिकार बढ़ने लगा। इसके नतीजा आज ये है कि अब ये केवल 2 गैंडे ही धरती पर बचे हैं। मादा नाजिन और उकसी साथी फातू।
पहले ये दोनों मादा गैंडे चिड़ियाघर में रहते थे। अभी इन्हें केन्या के ओल पेजेटा कंजरवेंसी में कड़ी सिक्योरिटी के बीच रखा गया है। दोनों प्रजनन करने में असमर्थ थे इसलिए इन्हें प्रेग्नेंट करने के लिए आईवीएफ का सहारा लिया गया।
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