महिलाओं ने समाज और कानून की ओर से समानता पाने के लिए सालो तक जद्दोजेहद की। आखिकार अमेरिका ने संविधान में संशोधन कर महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया। इसी दिन को लेकर आज विश्व महिला समानता दिवस मनाया जाता है।
आर्थिक,और सामाजिक रूप से महिला को एक कदम पीछे ही रखा गया।चाहे वह भारत हो या अमेरिका।पुरुष के मुकाबले उसे हमेशा हीन समझा गया। उन्हें विरासत पाने का हक नही,काबिलियत चाहे कितनी अच्छी हो पर उसे पुरुषों से आधा वेतन मिलता था।लेकिन समान मताधिकार को लेकर महिलाओं की मुहिम को जीत हासिल हुई।
अमेरिका की सरकार ने संविधान में 19वां संशोधन कर महिलाओं को मताधिकार दिया। लैंगिक समानता के संघर्ष में यह अपने आप में एक बहुत ही बड़ा माइलस्टोन था।तब से प्रतिवर्ष 26 अगस्त का दिन विश्व महिला समानता दिवस के रूप में मानना निश्चित हुआ।
विश्व की सभी महिलाओं के लिए मताधिकार कानूनन हो गया था।प्रथम विश्वयुद्ध के समय महिलाओं के काम और,उनकी हिस्सेदारी को वजूद मिला,और 26 अगस्त का दिन विश्व महिला समानता दिवस के रूप में मनाना निश्चित हुआ।
वर्ष 2023 का थीम है,” एंब्रेस इक्वालिटी”।यह महिला के आर्थिक,मानसिक, सामाजिक विकास के लिए जरूरी है।
अक्सर महिलाए अपने कानूनी अधिकारों को नहीं जानती।जिसके कारण उन्हें प्रताड़ित होना पड़ता है।महिलाओं के लिए सात ऐसे अधिकार हैं, जो उन्हें मुख्य धारा से जोड़े रखते हैं।
- किसी भी महिला को शाम 6:00 बजे के बाद या सुबह 6:00 बजे से पहले पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकती। धारा 160 के अनुसार पूछताछ के वक्त महिला पुलिस की या फिर उसके किसी परिवार के सदस्य की हाजिरी होना जरूरी है।
- कार्यस्थल पर शारीरिक यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का उसे हक है।
- घरेलू हिंसा के खिलाफ भी वह बिना किसी डर के शिकायत दर्ज करवा सकती है। जिस पर फौरन कार्यवाही करना पुलिस का कर्तव्य होगा।
- मातृत्व अधिकार अंतर्गत प्रसव के बाद 6 महीने तक वेतन में कोई कटौती नहीं की जा सकती । अलबत्ता, प्रेगनेंसी से पहले 12 महीने में 80 दिन काम किया हो तो वह इस प्रावधान की हकदार है।
- महिला की काबिलियत के अनुसार उसे पुरुष के समान ही वेतन पाने का हक है।
- आईपीसी धारा 304 और 498 ए के तहत महिला को यदि दहेज के कारण ससुराल वाले परेशान करते है तो शिकायत का और न्याय पाने का अधिकार है।
- किसी भी प्रकार के उत्पीड़न मामले में उसकी पहचान की सुरक्षा का उसे अधिकार है ।
महिला समानता दिवस के रूप में महिला के अधिकार को हर महिला तक पहुंचाना उद्देश्य है। यह बात और है कि आज भी दहेज के कारण महिला जलती है,यौन उत्पीड़न की शिकार कार्यस्थल पर और मणिपुर की तरह शारीरिक उत्पीड़न की शिकार महिला को भीड़ सड़क पर दौड़ाती भी है।
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