24 March 2022
दुनिया की एक तिहाई आबादी को टीबी से संक्रमित माना जाता है और लोगों के इतने बड़े समूह के साथ, व्यापक तपेदिक मिथकों की उम्मीद की जा सकती है।
यहा लेख आपके बचाव के लिए है।
मिथक 1 : टीबी एक जेनेटिक बीमारी है।
टीबी एक जेनेटिक या अनुवांशिक बीमारी है, यह पूरी तरह से एक गलत मिथक है। क्योंकि यह एक जेनेटिक बीमारी नहीं है। टीबी एक संक्रामक बीमारी है। जेनेटिक के साथ इसका कोई संबंध नहीं है। टीबी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने पर बैक्टीरिया के संपर्क में आने से हो सकता है। इसके अलावा टीबी का बैक्टीरिया व्यक्ति को तब संक्रमित करता है, जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है
मिथक 2 : टीबी एक लाइलाज बीमारी है।
इस समय दुनियाभर में टीबी का इलाज किया जा सकता है। इसके उपचार की प्रक्रिया लंबी होती है। लेकिन दवाइयों के सेवन से टीबी की बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।
मिथक 3 : धूम्रपान से टीबी होता है।
धूम्रपान टीबी की समस्या को बढ़ा सकता है। लेकिन धूम्रपान करने से टीबी की बीमारी नहीं होती है। फिर भी आपको धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु के कारण होता है। यह बैक्टीरिया कमजोर इम्यूनिटी वालों को अपनी चपेट में जल्दी लेता है।
मिथक 4 : टीबी एक जानलेवा बीमारी है।
एक समय ऐसा था, जब टीबी की बीमारी के कारण लोगों की मौत होती थी। लेकिन आज टीबी का इलाज मौजूद है। ऐसे में यह जानलेवा बीमारी नहीं रह गई है। अब इसके मौतों के आंकड़ों में काफी कमी देखने को मिलती है।
मिथक 5 : टीबी सिर्फ फेफड़ों को ही प्रभावित करता है।
टीबी आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन सिर्फ फेफड़ों का प्रभावित करता है यह एक मिथ है। टीबी शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। यह खून के माध्यम से शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है। टीबी हड्डियों में भी हो सकता है, इसे बोन टीबी या हड्डी क्षय रोग कहते हैं। यह दिमाग को भी प्रभावित करता है, जिसे ब्रेन टीवी कहते हैं।
मिथक 6 : टीबी की जांच के लिए ब्लड टेस्ट करवाया जाता है।
टीबी की जांच के लिए करने के लिए ब्लड टेस्ट करवाया जाता है, यह एक मिथ है। ब्लड टेस्ट से टीबी का पता नहीं लगाया जा सकता है। इसके जांच करने के लिए लंग टीबी टेस्ट, बायोस्पी, सीटी स्कैन और एमआरआई करवाया जाता है। व्यक्ति में टीबी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर लंग टीबी टेस्ट, बायोस्पी करवाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा सीने का एक्सरे और बलगम की जांच भी करवाई जाती है।
मिथक 7 : टीबी सिर्फ कमजोर आर्थिक वर्ग के लोगों को ही होती है।
कई लोगों का मानना है कि टीबी की बीमारी ज्यादातर गरीब या आर्थिक रूप से कमजोर आय वर्ग के लोगों को ही होती है, लेकिन यह धारणा बिल्कुल गलत है। टीबी अमीर या गरीब किसी को भी हो सकती है। टीबी की बीमारी ज्यादातर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को अपना शिकार बनाती है।
अगर आप भी टीबी से जुड़े इस मिथकों को सच मानते हैं, तो आज से ही अपनी धारणा बदल लें।
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