हर साल नौ अगस्त का दिन विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन का उद्देश्य दुनिया में आदिवासी आबादी के बारे में जागरुकता बढ़ाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। इसे वर्ल्ड ट्राइबल डे के रूप में भी जाना जाता है।
आदिवासी दिवस का इतिहास
- विश्व आदिवासी दिवस मनाए जाने के पीछे अमरीका के आदिवासियों का बहुत ही बड़ा योगदान है। दरअसल अमेरिका में 12 अक्टूबर को हर साल कोलंबस दिवस मनाया जाता है। वहां के आदिवासियों का मानना था कि कोलंबस उस उपनिवेशी शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके लिए बड़े पैमाने पर जनसंहार हुआ था। इसलिए कोलंबस दिवस के स्थान पर आदिवासी दिवस मनाया जाना चाहिए।
- इसके लिए 1977 में जेनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाने की मांग की गई।
- 1989 से आदिवासी समुदाय के लोगों ने इस दिन को सेलिब्रेट करना शुरू कर दिया।
- इसके बाद हर साल 12 अक्टूबर को कोलंबस दिवस की जगह आदिवासी दिवस मनाने लगे।
- इसके बाद यूनाइटेड नेशन ने साल 1994 में आधिकारिक तौर पर आदिवासी दिवस 9 अगस्त को मनाने की घोषणा की।
विश्व आदिवासी दिवस 2023 का थीम
हर साल वर्ल्ड ट्राइबल डे का थीम अलग होता है। विश्व आदिवासी दिवस 2023 का थीम ‘इंडीजिनस यूथ ऐज एजेंट्स ऑफ चेंज फॉर सेल्फ डिटरमिनेशन‘ है। विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासी समाज के पुरातन ज्ञान को सेलिब्रेट करते हैं।
इस दिन क्या होता है खास
इस दिन के अवसर पर दुनियाभर में संयुक्त राष्ट्र और कई देशों की सरकारी संस्थानों के साथ-साथ आदिवासी समुदाय के लोग, आदिवासी संगठन सामूहिक समारोह का आयोजन करते हैं। इस दौरान आदिवासियों की मौजूदा स्थिति और भविष्य की चुनौतियों को लेकर विचार विमर्श करते हैं। इसके साथ ही कई जगहों पर जागरुकता अभियान भी चलाए जाते हैं।
भारत में निवासित आदिवासी जनजातियां
यदि हमारे देश भारत की बात करें तो यहां मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार सहिच अन्य राज्यों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। मध्य प्रदेश में 46 आदिवासी जनजातियां निवास करती हैं। एमपी की कुल जनसंख्या के 21 फीसदी लोग आदिवासी समुदाय के हैं। वहीं झारखंड की कुल आबादी का करीब 28 फीसदी आदिवासी समाज के लोग हैं। इसके अलावा भी तमाम राज्यों में आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं।
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