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Sunday, February 23   9:46:50

जापान में पेड़ों को काटे बिना एकत्र की जाती लकड़ियां

इस दुनियां में लकड़ियों की जितनी भी चीजे बनती हैं चाहे वो टेबल हो, चेयर, घर, बर्तन, सजावट की चीजें, फर्नीचन। इन सब को बनाने में जो लकड़ी यूज की जाती है, उसके लिए लाखों पेड़ो को काटा जाता है। और एक पेड़ को काटने से हमारे पर्यावरण को क्या नुकसान होता है ये सब आप जानते हैं। एक पेड़ को बड़ा होने में कई साल लग जाते हैं और उसे एक झटके में ही काट दिया जाता है। इसलिए जापान के लोग लकड़ी काटने के लिए ऐसी तकनीक का प्रयोग करते हैं जिससे उन्हें लड़की भी मिल जाती है और पेड़ को भी नहीं काटना पड़ा। यह तो ये बात हो गई की सांप भी मर जाता है और लाठी भी नहीं टूटती। अब सवाल यहां ये उठते हैं कि आखिर जापान के लोग ऐसा कैसे कर लेते हैं।

वैसे तो बाकी देशों में लकड़ी के लिए पेड़ों की कटाई की जाती है। लेकिन, जापान के लोग लकड़ी के लिए 600 साल पुरानी डेसुगी तकनीक का प्रयोग करते हैं। इसका जन्म 14वीं शताब्दी में हुआ था।

डेसुगी तकनीक में पहले बड़ा सा पेड़ लगाया जाता है। इन पेड़ों को भविष्य की पीढ़ियों के लिए लगाया जाएगा और उन्हें काटा नहीं जाएगा, बल्कि उनकी छंटाई की जाती है। ये प्रोसेस कई सालों तक चलता है। इससे उसकी टहनियां दूसरी पेड़ों की तरह तेढ़ी-मेढ़ी न होकर एकदम सीधी सीधी हो जाती हैं। और जब भी जरूर पड़ने पर लकड़ी की जरूरत होती है तो इसमें पेड़ नहीं काटा जाता बल्कि इन सीधी टहनियों को ही काट दिया जाता है। उसके बाद पेड़ को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है। कुछ वक्त बाद वो काटी कई टहनियां फिर से बड़ी हो जाती हैं।

देवदारों पर इस तकनीक को लागू करने से, जो लकड़ी प्राप्त की जा सकती है वह एक समान, सीधी और गांठ रहित होती है, जो निर्माण के लिए व्यावहारिक रूप से एकदम सही होती है। कला के नियम के रूप में छंटाई जो पेड़ को उसकी लकड़ी का उपयोग करते हुए बढ़ने और अंकुरित होने देती है, बिना उसे काटे।

भारत में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई एक गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक समस्या है जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। इस समस्या के कुछ मुख्य कारण वन माफिया, विकास कार्य, कृषि, जलाऊ लकड़ी, खनन, चराई, और अवैध शिकार के लिए भी पेड़ों को नुकसान पहुंचाना है।

हमें सभी को मिलकर काम करना चाहिए ताकि हमारे ग्रह के वनों की रक्षा हो सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।