30-06-2023, Friday
किसी जानवर के पैरों के निशान से उस पर बैठे लोगो की संख्या बताना भी एक कला है। ऐसे ही हुनरमंद इंसान की आज दास्तान कहेंगे।
भारत देश में अनेकों ज्ञानी लोग है जो विविध कलाओं,और ज्ञान के भंडार है।और ऐसे किसी ज्ञानवान के ज्ञान का लाभ भारतीय सेना को मिले ,फिर तो कहना ही क्या!बात है, सन 1965 और1971 में हुई भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय की। भारत की सभी पश्चिमी सीमाओं पर सेना के जवान मुस्तैदी से अड़े थे।उसमे भी कच्छ के रण की सीमा में ऊंटों पर होती घुसपैठ को रोकना जरूरी था। उस समय कच्छ के रणछोड़ भाई का हुनर काम आया।
रणछोड़ भाई पगी 1965 और 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक नायक हैं ,जिन्हे नई पीढ़ी नही जानती। ऊंट के कदमों की छाप देखकर उस पर कितने सवार है,और इंसानी कदमों की छाप से उसकी कद काठी जानने की इस विद्या का उन्हें ज्ञान था। रणछोड़ भाई ने सन 1965 और 1971 के युद्ध में अपने ज्ञान से भारतीय सेना के लिए गाइड की भूमिका अदा की ,और दुश्मनों की गतिविधि की जानकारी दी ।जिसके चलते यह युद्ध भारत जीता था। आज गुजरात के स्कूलों के पाठ्य पुस्तकों में उनकी जीवन गाथा को समाहित किया गया है। ताकि नई पीढ़ी उनकी वीरता, साहस और पराक्रम से प्रेरणा ले ।और भारत के अमृत कालखंड में अपनी विरासत और नायकों के लिए गौरव ले सके।
More Stories
Apple और Google को टक्कर देने वाला है ये नया फोन, जानिए इसकी डिटेल्स!
क्या गुजरात 2036 ओलिंपिक की मेज़बानी हासिल कर सकता है?अहमदाबाद की दावेदारी पर सबकी नज़रें
छठ पूजा का दूसरा दिन: जानें खरना के दिन की विशेषताएँ, विधि और महत्व