CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Friday, November 22   8:49:53

क्या 2036 में भारत कर पाएगा सफलता पूर्वक ओलंपिक्स की मेजबानी?

15–16 अक्टूबर को मुंबई में हुए 141st IOC Session में भारत के प्रधानमंत्री ने ऐसी बात कह दी जिसे सुनकर लोगों के मन के कई प्रकार से सवाल उठ रहे हैं। दरअसल पीएम मोदी ने ओलंपिक्स 2036 और 2029 यूथ ओलंपिक्स में भारत की ओर से बिडिंग करने की बात कही। पीएम के इस बयान के बाद कहीं ना कहीं कुछ अर्थशास्त्री इसे भारत की तरफ से एक इकोनॉमिक ब्लंडर बता रहे हैं। ओलंपिक्स को लेकर 2009 में तत्कालीन स्पोर्ट्स मिनिस्टर मार्चर सिंह गिल ने ये तक कहा था कि “ india is too poor to bid for Olympics” अब ऐसा क्या है जो लोग भारत के ओलंपिक्स होस्ट करने पर इतने चिंतित हैं।

मिंट रिपोर्ट की मानें तो ओलंपिक्स होस्ट करने के लिए किसी भी देश को बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च करने पड़ते है। ये सब पैसे अलग-अलग इवेंट को ऑर्गेनाइज करने में और नए स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में खर्च होते है। यहां तक कि एक बड़ा हिस्सा खिलाड़ियों के रहने और सुविधाओं में खर्च हो जाता हैं। इन सब के लिए 2036 में ओलंपिक्स होस्ट करने के लिए भारत को लगभग 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्चा आ सकता है। इसके बाद भी ओलंपिक्स होस्ट करना कोई आसान खेल नहीं। कई बड़े-बड़े देशों के लिए ओलंपिक्स होस्ट करना घाटे का सौदा रहा।

1976 मॉन्ट्रियल ओलंपिक्स के बाद कैनेडा को 30 साल लग गए लोन चुकाने में। ओलंपिक्स ने 2004 एथेंस ग्रीस को एक फाइनेंशियल क्राइसिस की ओर धकेल दिया था। 2016 रियो ओलंपिक्स के बाद एडमिनिस्ट्रेशन को ब्राजील गवरमेंट से 900 मिलियन डॉलर लेने पड़ गए थे। यहां तक 2020 टोक्यो ओलंपिक्स से जापान को भी कोई फायदा नहीं हुआ।

इन नुकसानों की वजह ओलंपिक्स के बाद होने वाले मेंटेनेंस हैं। ओलंपिक्स के वक्त बनाएं गए चीजों और मैदान को मेंटेन करने में देशों का अच्छा खासा पैसा खर्च हो जाता है। जैसे कि 2014 sochi.ru ओलंपिक्स के दौरान रूस ने ट्रांस्पोटेशन पर 8.5 बिलियन डॉलर खर्च किए थे, जो अब किसी काम का नहीं है। लेकिन, ओलंपिक्स के बाद अब हर साल रूस को इसके मेंटेनेंस के लिए 1-2 बिलियन डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। इतना पैसा लगाने के बाद भी देश को किसी भी प्रकार की कमाई नहीं होती। 2012 लंदन ओलंपिक्स में 18 बिलियन डॉलर लगाने के बाद उन्हें केवल 5.2 बिलियन डॉलर की कमाई हुई। 2008 बेइजिम ओलंपिक्स में चीन को 40 बिलियन डॉलर लगाने पर सिर्फ 3.6 बिलियन डॉलर की ही कमाई हुई। इसलिए अब ओलंपिक्स होस्ट करने से कई देश कतराते हैं।

इतना पैसा खर्च करने के बाद भी इन देशों को कोई भी फायदा नहीं हुआ। इसके बाद अब धीरे-धीरे ओलंपिक्स की बिडिंग में देशों का रुझान कम होता नजर आ रहा है। आप इन आंकड़ों से इसका पता लगा सकता हैं-

  • 2004 में 11 देश
  • 2008 में 10 देश
  • 2012 में 09 देश
  • 2016 में 07 देश
  • 2020 में 05 देश

इसके बाद अब 2024 में होने वाले ओलंपिक्स की बिडिंग में केवल 2 देशों ने ही हिस्सा लिया। लॉस एंजेलिस और पेरिस जिसमें पेरिस ने इसे जीतकर ओलंपिक्स की मेजबानी अपने हाथों में ले ली है। इससे आप पता लगा सकते हैं की ओलंपिक्स की बिडिंग के लिए अब सारे देश अपने कदम पिछे हटाते जा रहे हैं। ऐसे में भारत ने 2036 में ओलंपिक्स की मेजबानी करने का बयान देकर कहीं गलत कदम तो नहीं उठा लिया। इस पर अब कई अर्थशास्त्री सवाल उठाने लगे हैं।

भारत जो अभी विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है। उसके लिए यह निर्णय कहीं ना कहीं सोचने वाली बात है। क्योकि भारत भले ही एक बड़ी इकोनॉमी है, लेकिन अभी भी यहां लेस पर कैपिटा इनकम, बुखमरी और बेरोजगारी के चलते लोग जूझ रहे हैं। इन सबके बावजूद बात की जाए भारत की तो भारत हमेशा से ही अपने हर फैसले को सही साबित करता आया है। अब आने वाला वक्त ही बताएगा की भारत ओलंपिक्स होस्ट करता है या नहीं। इससे भारत को क्या फायदा होगा ये तो देखने वाली बात होगी। यदि भारत इसे सफलता पूर्वक कर लेता है तो भारत एक प्रकार से विश्व में अपने आप को साबित कर देगा।