थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को संविधान के उल्लंघन के आरोप में पद से हटा दिया गया है। बुधवार को थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने यह अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि स्रेथा ने अपने कैबिनेट में एक नियुक्ति के दौरान गंभीर रूप से नैतिकता के नियमों का उल्लंघन किया है।
अदालत ने स्रेथा पर लगे आरोपों की पुष्टि करते हुए कहा कि उनकी कुछ कार्रवाइयां संविधान के अनुरूप नहीं थीं, जो कि नैतिक आचरण से संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन है। हालांकि, अदालत ने उस कैबिनेट नियुक्ति का विशिष्ट विवरण नहीं दिया है, जो इस फैसले का कारण बनी।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए स्रेथा ने कहा, “मैं अदालत के निर्णय का सम्मान करता हूं।” हालांकि, उनके समर्थकों के बीच इस फैसले ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें स्रेथा को हटाए जाने के कारणों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इस फैसले ने थाईलैंड के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, जहां सत्ता संघर्ष और नैतिकता की बहस एक बार फिर से उभर आई है। स्रेथा का प्रधानमंत्री पद से हटना थाईलैंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का देश की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।
More Stories
देश में क्यों हो रही अनिल बिश्नोई की चर्चा? लॉरेंस बिश्नोई के उलट एक सच्चे संरक्षणकर्ता की कहानी
वडोदरा के काश पटेल बनेंगे अमेरिका की सर्वोच्च सुरक्षा एजेंसी CIA के प्रमुख? जानिए, कौन है ट्रंप का भरोसेमंद साथी?
‘अडानी का करोड़ों का प्रोजेक्ट रद्द कर दूंगा…’, चुनावी घोषणापत्र में उद्धव ठाकरे ने किए कई सारे बड़े वादे