2024 के पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय शूटर मनु भाकर का नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए नामांकित खिलाड़ियों की सूची से बाहर होना एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। मनु भाकर, जिन्होंने पेरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया, उनके लिए यह एक झटका था, क्योंकि इस बार उन्हें इस सम्मान से वंचित रखा गया।
मनु भाकर की ऐतिहासिक उपलब्धि
मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक जीतकर भारतीय खेल जगत में एक नया इतिहास रचा। वह पहली भारतीय महिला शूटर बनीं, जिन्होंने एक ही ओलंपिक में दो पदक जीते। पहले उन्होंने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में कांस्य पदक जीता, फिर मिश्रित टीम इवेंट में भी कांस्य पदक हासिल किया।
यह उपलब्धि इस दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है कि मनु ने अपने प्रदर्शन से पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए दो पदक जीते, जबकि टोक्यो ओलंपिक्स में तकनीकी गड़बड़ी के कारण उन्हें निराशा हाथ लगी थी। उनका यह शानदार वापसी और निरंतर संघर्ष भारतीय खेलों के लिए एक प्रेरणा है।
‘खेल रत्न’ पुरस्कार से बाहर क्यों?
यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली शूटर मनु भाकर का नाम खेल रत्न पुरस्कार के लिए क्यों नहीं शामिल किया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, खेल मंत्रालय ने यह कहा है कि मनु ने अवॉर्ड के लिए कोई आवेदन नहीं किया था। हालांकि, उनके परिवार के सूत्रों ने इस बात को खारिज करते हुए दावा किया है कि मनु ने आवेदन भेजा था, लेकिन इसके बावजूद उनका नाम इस लिस्ट से बाहर है।
यहां एक और दिलचस्प पहलू सामने आता है। इससे पहले 2023 में, भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी ने अर्जुन पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं किया था, लेकिन बीसीसीआई के आग्रह पर उन्हें यह पुरस्कार दिया गया। इस उदाहरण से यह साफ है कि अगर कोई खिलाड़ी आवेदन नहीं करता है, तो भी उसे अवार्ड मिल सकता है, अगर उसके प्रदर्शन को समुचित रूप से सराहा जाए। ऐसे में मनु भाकर के मामले में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उनकी उपलब्धियों के बावजूद, उनका नाम इस बार के पुरस्कार की दौड़ में शामिल नहीं किया गया।
सोशल मीडिया पोस्ट और विवाद
पेरिस ओलंपिक के बाद, मनु भाकर ने खेल रत्न पुरस्कार को लेकर एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने अपने फॉलोअर्स से पूछा था, “क्या मैं मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड की हकदार हूं?” हालांकि यह ट्वीट बाद में हटा दिया गया, लेकिन इस पोस्ट ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया और माना गया कि उच्च अधिकारियों को यह पोस्ट पसंद नहीं आई। यही कारण हो सकता है कि उनका नाम इस बार के पुरस्कार की सूची से बाहर रखा गया।
यह स्थिति भारतीय खेल जगत के लिए बेहद निराशाजनक है। अगर मनी भाकर ने आवेदन किया था, तो उनके नाम का विचार क्यों नहीं किया गया? उनका प्रदर्शन और संघर्ष बिना किसी संदेह के खेल रत्न पुरस्कार के हकदार थे। एक खिलाड़ी जो ओलंपिक में दो पदक जीतकर वापस आता है, उसे और अधिक मेडल जीतने के लिए क्यों दबाव डाला जाए? क्या हमें केवल पदकों की संख्या को आधार बनाना चाहिए, या फिर एक खिलाड़ी की मेहनत, प्रतिबद्धता और खेल के प्रति उसकी भावना को भी सम्मानित किया जाना चाहिए?यहां हमें यह भी याद रखना चाहिए कि मनी भाकर जैसे खिलाड़ी भारतीय खेल जगत का गौरव हैं और उन्हें उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाना चाहिए। अगर उनकी इस स्थिति को ठीक से नहीं देखा गया, तो यह भारतीय खेल प्रशासन की एक बड़ी चूक मानी जा सकती है।
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