धनतेरस का पर्व दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व होता है, जो स्वास्थ्य, आयु और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। आइए जानते हैं कि इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा क्यों की जाती है और इससे जुड़ी प्रमुख मान्यताएं क्या हैं।
भगवान धन्वंतरि कौन हैं?
भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के देवता माना जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय, वे अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उनकी पूजा से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का भी लाभ मिलता है। धनतेरस के दिन उनकी पूजा करके लोग स्वस्थ, सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं।
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का अर्थ है स्वास्थ्य की कामना करना। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि सच्चा धन स्वास्थ्य है। इसलिए, इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करके स्वस्थ और निरोगी जीवन की प्रार्थना की जाती है।
पूजा की विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाया जाता है। उनके साथ लक्ष्मी और कुबेर देवता की भी पूजा की जाती है। हल्दी, चंदन, पुष्प और धूप से उनकी आराधना की जाती है, और अंत में उनके समक्ष आरती की जाती है।
क्यों की जाती है नए बर्तन और आभूषणों की खरीदारी?
धनतेरस के दिन बर्तन, आभूषण, और संपत्ति खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह समृद्धि और सौभाग्य लाता है। भगवान धन्वंतरि के अमृत कलश से प्रेरित होकर इस दिन खरीदे गए नए सामान को खुशहाली और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।
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धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा के लाभ
- स्वास्थ्य में वृद्धि: भगवान धन्वंतरि की पूजा से व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारी दूर होती है।
- संपन्नता और समृद्धि: पूजा से घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक उन्नति होती है।
- मनोवैज्ञानिक शांति: पूजा और ध्यान से मानसिक शांति प्राप्त होती है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा एक प्राचीन परंपरा है जो हमें स्वास्थ्य, समृद्धि और शुभता का संदेश देती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा धन स्वास्थ्य है, और भगवान धन्वंतरि की पूजा से हमें यह अनमोल संपदा प्राप्त हो सकती है।
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