यदि आपसे कोई मौसम के बारे में कहने को बोले तो आप कितनी देर तक बोल पाएंगे? 5-10 मिनट, लेकिन आयरलैंड के लोग इस विषय पर एक घंटे या उससे भी ज्यादा बोल सकते हैं। यह मानना है फ्रीलांस लेखिका कैट मैकक्सकर का। कैट को डबलिन में बुक शॉप चलाने वाली आइसलिंग कनिंघम से बातचीत के बाद पता चला कि आयरिश लोगों को कहानियां सुनना-सुनाना क्यों इतना पसंद है। क्योंकि वे खूब किताबें पढ़ते हैं। यही कारण है कि इससे लेखकों को बढ़ावा मिला और वे नोबेल व बुकर जैसे पुरस्कारों के हकदार बन गए।
आयरलैंड के डबलिन को साहित्य के 4 नोबेल और 6 बुकर पुरस्कार विजेताओं के साथ, 2010 में चौथी “UNESCO City of Literature” का खिताब हासिल हुआ। आज इस शहर ने अपनी मैगजीन प्रकाशकों, बुक शॉप्स और लाइब्रेरी के तेजी से बढ़ते गढ़ के जरिए एक बड़ा नेटवर्क बना लिया है। यहां के लोगों में किताबों को पढ़ने को लेकर अलग ही जुनून देखने को मिलता है।
राइटर निकोल फ्लैटरी का मानना है कि वे जब भी दोस्तों के साथ कुछ समय बाद मिलती हैं तो हर एक के पास बताने के लिए एक कहानी होती है।
आयरलैंड की साहित्यिक सफलता के पीछे का राज यहां का आर्ट्स काउंसिल है, जहां साहित्य और संस्कृति को तवज्जो दी जाती है। इसका सालाना बजट सुनकर ही आप दंग रह जाएंगे। यहां के लोग इसके लिए 1300 करोड़ का बजट लेकर चलते हैं। निकोल का कहना है कि लेखक अपनी बातें कहने के लिए पूरी तरह आज़ाद हैं, जो लंबे वक्त से मन में दबी हुई थीं।
इस बारे में आयरलैंड आर्ट्स काउंसिल की प्रमुख सारा बैनन कहती हैं कि साहित्य को लेकर हमारा दृष्टिकोण व्यक्तिगत लेखकों पर केंद्रित है। हम सुनिश्चित करते हैं कि उनकी मेहनत लोगों तक पहुंचे। इसके लिए हम स्कॉलरशिप और पुरस्कारों पर जोर देते हैं। इसका बजट 19 करोड़ रुपए है, और यह राशि सीधे लेखकों को मिलती है। इसी वजह से वे अपने प्रोजेक्टों पर पूरी तरह से ध्यान दे पाते हैं। इतना ही नहीं यहां के कलाकारों को प्रमोट करने के लिए उन्हें 47 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स छूट दी जाती है।
इस तरह, आयरलैंड की साहित्यिक परंपरा, मजबूत सामाजिक समर्थन और व्यापक पाठकीय रुचि ने इसे नोबेल और बुकर पुरस्कारों में आगे रखा है।
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