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Tuesday, May 6   6:01:14

शाहरुख खान की फिल्मों की असफलता क्यों चाहती थी गौरी खान? चौकाने वाला खुलासा!

बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी खान की प्रेम कहानी जगजाहिर है। लेकिन हाल ही में एक खुलासा हुआ जिसने फैंस को चौंका दिया। गौरी ने खुद स्वीकार किया कि उन्होंने शाहरुख की सफलता के लिए कभी प्रार्थना नहीं की थी, बल्कि चाहती थीं कि उनकी फिल्में फ्लॉप हो जाएं!

शाहरुख की सफलता से बेपरवाह थीं गौरी?

गौरी खान ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि जब शाहरुख ने बॉलीवुड में कदम रखा, तब वह इस इंडस्ट्री को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं थीं। शादी के शुरुआती दिनों में वह मुंबई में खुद को असहज महसूस कर रही थीं और चाहती थीं कि शाहरुख की फिल्में न चलें ताकि वे दिल्ली लौट सकें। यह बात कई लोगों को चौंका सकती है क्योंकि आमतौर पर माना जाता है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक सपोर्टिव पत्नी होती है। लेकिन गौरी का यह अलग नजरिया दर्शाता है कि उनके लिए शाहरुख की सफलता से ज्यादा जरूरी उनका व्यक्तिगत संतोष था।

समय के साथ बदली सोच

हालांकि, धीरे-धीरे गौरी ने इस इंडस्ट्री को समझना शुरू किया। उन्होंने बताया कि उन्हें करीब नौ साल लगे यह समझने में कि शाहरुख आखिर कर क्या रहे हैं। इस दौरान उनके कुछ करीबी दोस्तों ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री और शाहरुख की सफलता की अहमियत समझने में मदद की।

गौरी ने यह भी कहा कि शाहरुख सिर्फ एक अभिनेता बनकर संतुष्ट नहीं थे। वह फिल्मों की टेक्निकल चीजों में भी गहरी रुचि रखते थे और हमेशा कुछ नया सीखने की चाह रखते थे। शायद यही जज़्बा था जिसने शाहरुख को इंडस्ट्री का बादशाह बना दिया।

फिल्मों में आने का नहीं था इरादा

गौरी खान को भी फिल्मों में काम करने के कई ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने हमेशा इसे नकार दिया। उन्होंने कहा कि एक्टिंग उनकी रुचि का हिस्सा नहीं थी और शाहरुख भी इस मामले में काफी प्रोटेक्टिव थे।

गौरी का यह बयान बताता है कि हर रिश्ते की एक अलग कहानी होती है। यह जरूरी नहीं कि एक सफल अभिनेता की पत्नी शुरुआत से ही उनकी सफलता के लिए प्रयासरत हो। असल में, यह गौरी और शाहरुख के रिश्ते की मजबूती को दर्शाता है कि दोनों एक-दूसरे को अपने तरीके से समझते और स्वीकारते हैं।

शाहरुख की सफलता के पीछे भले ही गौरी की शुरुआती दुआएं न रही हों, लेकिन आज वह उनकी सबसे मजबूत सपोर्ट सिस्टम हैं। शायद यही प्यार की सच्ची परिभाषा है—समय के साथ एक-दूसरे को समझना और बिना किसी दबाव के अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना।