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Tuesday, January 7   9:34:11

प्रेस कॉन्फ्रेंस के बीच क्यों रो पड़ी आतिशी ? जानें पूरा मामला

दिल्ली की राजनीति इन दिनों उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री आतिशी और भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी के बीच जुबानी जंग ने तूल पकड़ लिया है। भाजपा प्रत्याशी बिधूड़ी द्वारा आतिशी पर की गई टिप्पणी के बाद माहौल गरमा गया है। सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आतिशी भावुक हो गईं और उन्होंने भाजपा की इस बयानबाजी को राजनीति के निम्नतम स्तर पर गिरने का उदाहरण बताया।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने एक जनसभा के दौरान आतिशी पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा कि “आतिशी ने अपना बाप बदल लिया है। वे मार्लेना से सिंह बन गई हैं।” इस बयान के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। आतिशी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके पिता एक शिक्षक रहे हैं और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए समर्पित की है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या चुनाव जीतने के लिए भाजपा को बुजुर्गों का अपमान करने और इस तरह की अभद्र भाषा का सहारा लेना पड़ेगा?

राजनीतिक गलियारों में मचा बवाल

आतिशी के समर्थन में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी कड़ा बयान दिया। उन्होंने भाजपा नेताओं पर महिला मुख्यमंत्री का अपमान करने और बेशर्मी की हदें पार करने का आरोप लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि दिल्ली की जनता भाजपा की इस ओछी राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेगी।

बिधूड़ी इससे पहले भी विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। 2023 में संसद में बीएसपी सांसद दानिश अली के खिलाफ की गई उनकी आपत्तिजनक टिप्पणी ने भी काफी विवाद खड़ा किया था। हालांकि, भाजपा ने तब उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन अब एक बार फिर उनके बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।

प्रियंका गांधी पर भी टिप्पणी, कांग्रेस का विरोध

रमेश बिधूड़ी ने सिर्फ आतिशी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पर भी विवादित बयान दिया। उन्होंने लालू यादव के पुराने बयान का संदर्भ लेते हुए कहा कि वे कालकाजी की सड़कें प्रियंका गांधी के गालों जैसी बना देंगे। इस पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भाजपा और आरएसएस की विचारधारा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह टिप्पणी भाजपा नेताओं की ओछी मानसिकता को दर्शाती है। कांग्रेस ने इस बयान की कड़ी निंदा की और इसे महिलाओं के प्रति भाजपा की असंवेदनशीलता करार दिया।

भाजपा की सफाई और पलटवार

बढ़ते विवाद के बाद रमेश बिधूड़ी ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने यह बयान लालू यादव की पुरानी टिप्पणी के संदर्भ में दिया था और अगर किसी को ठेस पहुंची है तो वे अपने शब्द वापस लेते हैं। वहीं, भाजपा ने इस मामले पर सीधा रुख अपनाने के बजाय कांग्रेस पर ही पलटवार कर दिया और पूछा कि जब लालू यादव ने हेमा मालिनी को लेकर ऐसी टिप्पणी की थी, तब कांग्रेस ने क्यों विरोध नहीं किया था?

दिल्ली चुनाव की सरगर्मी तेज

दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और सभी दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जबकि भाजपा और कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। कालकाजी सीट से जहां मुख्यमंत्री आतिशी मैदान में हैं, वहीं भाजपा ने उनके खिलाफ रमेश बिधूड़ी को टिकट दिया है और कांग्रेस ने अलका लांबा को उतारा है।

राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और बयानबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन व्यक्तिगत हमले और अभद्र भाषा का इस्तेमाल लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। जनता उम्मीद करती है कि नेता अपने काम और नीतियों पर चर्चा करें, न कि एक-दूसरे की निजी जिंदगी और परिवार को लेकर अनर्गल बयानबाजी करें। यह चुनावी रणनीति हो सकती है, लेकिन अंततः इससे राजनीतिक संस्कृति ही खराब होती है।

दिल्ली के मतदाताओं को इस चुनाव में यह तय करना होगा कि वे विकास और मुद्दों पर आधारित राजनीति को चुनेंगे या फिर बयानबाजी और विवादों से प्रभावित होंगे। जहां तक नेताओं का सवाल है, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, जो जनता के हितों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए होनी चाहिए, न कि व्यक्तिगत हमलों और अपमानजनक टिप्पणियों का अखाड़ा बनने के लिए।

दिल्ली विधानसभा चुनावों की घोषणा कभी भी हो सकती है और इस बीच राजनीतिक माहौल लगातार गर्माता जा रहा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता इन घटनाओं को कैसे देखती है और किसे अपना समर्थन देती है। क्या दिल्ली की जनता इस बार भी विकास के नाम पर वोट करेगी, या फिर बयानबाजी से प्रभावित होकर अपना फैसला लेगी? यह सवाल आने वाले दिनों में और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाएगा।