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Sunday, September 29   4:31:24
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दोबारा क्यों मिला अमित शाह को गृह मंत्रालय?

Amit Shah:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान भाईयों के कल्याण के लिए पीएम किसान सम्मान निधि पर हस्ताक्षर करने के साथ तीसरे कार्यकाल की शुरुआत कर दी है। मोदी 3.0 की कैबिनेट टीम तैयार हो गई है। जिसमें कई नए कैबिनेट मंत्रियों को पदभार दिया गया वहीं कई ऐसे भी पद थे जो पहले की तरह ही रखे गए। इनमें से एक था मंत्रालयों का राजा गृह मंत्रालय, जिसे लेकर कई सारे कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन, वो पद पहले की तरह ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मास्टर रणनीतिकार अमित शाह को ही दिया गया।

दशकों से मोदी के भरोसेमंद सहयोगी रहे शाह ने एक बार फिर कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। देश की नीतियों को आकार देने और मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका मजबूत है।

22 अक्टूबर, 1964 को गुजरात के छोटे से शहर मनसा में एक साधारण परिवार में जन्मे अमित शाह की भारतीय राजनीति के सर्वोच्च पदों पर पहुंचना की एक उल्लेखनीय कहानी है। भाजपा के साथ उनका जुड़ाव 1980 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ, जब वे बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई करते हुए पार्टी की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में शामिल हो गए।

शाह की असली क्षमता तब सामने आई जब उन्हें 2014 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिस पद पर वे 2020 तक रहे। उनके कुशल नेतृत्व में पार्टी ने अपनी लोकप्रियता में अभूतपूर्व उछाल देखा और 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में शानदार बहुमत हासिल किया।

Article 370 को हटाने में शाह की महत्वपूर्ण भूमिका

पिछली मोदी सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में अमित शाह ने कई महत्वपूर्ण पहलों और नीतिगत निर्णयों का नेतृत्व किया, जिनका राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक मामलों पर दूरगामी प्रभाव पड़ा। उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक (Article 370) को हटाना था, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था।

CAA को लागू करवाने में बड़ा हाथ

शाह ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के पारित होने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करना था।

शाह ने इन मुद्दों पर उठाए बड़े कदम

इसके अतिरिक्त, उन्होंने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के कार्यान्वयन की देखरेख की, जो अवैध आव्रजन चिंताओं को दूर करने के लिए लंबे समय से चली आ रही मांग थी। उनके नेतृत्व में, गृह मंत्रालय (MHA) ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कड़े कदम उठाए।