हालही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दिया गया बयान राजनीति के बाजार में भारत की आवाम का मन अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। एक मीडिया इंटरव्यू में रक्षा मंत्री ने भरोसा जताते हुए कहा कि हमें हमला करके PoK पर कब्जा करने की कोई जरूरत नहीं होगी, क्योंकि वहां ऐसे हालात बन रहे हैं कि PoK के लोग खुद ही भारत में विलय की मांग कर रहे हैं। भारत ने आज तक दुनिया के किसी देश पर न आक्रमण किया, न किसी की एक इंच जमीन पर कब्जा किया। ये हमारा चरित्र है। मैं यह भी कहता हूं कि PoK हमारा था और हमारा है। मेरा विश्वास है कि PoK खुद ही भारत में आ जाएगा।
चुनावी माहौल में हर पार्टी वोटों के लालच में अक्सर कुछ ऐसा कह देती है जिसपर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। अब भले ही ये बयान किसी बच्चे के मुंह में लॉलीपॉप देने जैसा हो, लेकिन ये स्वीकार करने में कोई विडंबना नहीं है की पाकिस्तान द्वारा अपने कब्जे वाले कश्मीर में आवाम के साथ सौतेला जैसा व्यवहार किया जा रहा है।
कश्मीर के 78 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा बड़े हिस्से पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। ये एरिया इतना बड़ा है कि इसमें 50 से ज्यादा दिल्ली समा जाए। पाकिस्तान इसे आजाद कश्मीर बताता है, लेकिन सच तो ये हैं आजाद नहीं बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर है। इसे आम बोलचाल की भाषा में पीओके (PoK ) कहा जाता है।
पाकिस्तान बनने के साथ ही उसके हुक्मरानों को शुरुआत से ही भारत के टुकड़े करने का शौक रहा है। उनकी इसी सनक ने पूरे पाकिस्तान को गरीबी में ढकेल दिया। मिसाइलों और बमों पर पैसा बहाने वाला पाकिस्तान आज अपने ही लोगों का पेट नहीं पाल पा रहा है, लेकिन पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में हालात और भी ज्यादा बद्तर हो गए हैं। आम जनता को उसके नागरिक अधिकारों से वंचित करना आज किसी भी बड़े राष्ट्र के लिए मुमकिन नहीं है। पाकिस्तान के इस सौतेले बर्ताव से pok के लोग तंग आ कर अब भारत में विलय करने की लगातार मांग उठा रहे हैं। इसके लिए आए दिन यहां के लोग प्रदर्शन कर अपने हक की लड़ाई लड़ते रहते हैं। इस बाघीपन का कोई एक कारण नहीं है बल्कि इसके कई कारण है।
पाकिस्तान (Pakistan) के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) में तनाव की स्थिति बढ़ती जा रही है और इस वजह से हालात भी काफी बिगड़ गए हैं। इस इलाके में सुन्नी और शिया मुस्लिमों के बीच दुश्मनी का पुराना इतिहास रहा है और अब एक बार फिर यह दुश्मनी भड़क गई है। गिलगित-बाल्टिस्तान में शिया मुस्लिम लंबे समय से अल्पसंख्यक रहे हैं। साथ ही पाकिस्तानी सेना भी सुन्नी मुस्लिमों का समर्थन करने के साथ ही उन्हें बढ़ावा भी देती है और शिया मुस्लिमों के खिलाफ सख्त रहती है। इसलिए इस इलाके में शिया मुस्लिमों और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ आए दिन बगावत की खबरे सामने आती रहती हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय शिया मुस्लिमों ने सिर्फ सिविल वॉर की ही नहीं, भारत में विलय की चेतावनी भी दी है। ऐसा पहले भी हो चुका है। साथ ही इन लोगों ने भारत की ओर जाने वाले कारगिल हाइवे को खोलने की भी मांग उठाई है जिससे भारत जा सके।
ये तो हुआ एक कारण लेकिन, इस धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाली इस वादियों की आवाम बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है। आए दिन इनसे इंटरनेट की सुविधा छीन ली जाती है। सुन्नी नागरिक सशस्त्र बल के जवान उन पर चौबीसों घंटे नजर रखते हैं। रैली या सभा के लिए इन्हें इजाजत लेनी पड़ती है। इतना ही नहीं यहां कई सालों से बुनियादी वस्तुओं और पर्यटकों के लिए कारगिल मार्ग को खोलने की भी मांग की जा रही है। लेकिन, पाकिस्तान सरकार इस मांग को सख्ती से दबा देती है।
इसमें कोई दो राय नहीं की गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का हिस्सा होते हुए भी वहां के दूसरे राज्य की तरह है। पाकिस्तान की सरकार लगातार वहां की जनता के साथ चालाकी से उनके अधिकारों को छीनते जा रही है। भारत इस चीन-पाक आर्थिक परियोजना के खिलाफ इसलिए आवाज उठा रहा है क्योंकि गिलगित-बाल्टिस्तान का बड़ा क्षेत्र इसमें शामिल है। यदि CPEC सफल साबित होता है तो यह पाकिस्तानी क्षेत्र के रूप में और मजबूत हो जाएगा, जिससे 73 हजार वर्ग किमी भूमि पर भारत का दावा कम हो जाएगा जो 1.8 मिलियन से ज्यादा लोगों का घर है।
वहीं चीन ने CPEC के लिए पाकिस्तान को लगभग 22 अरब डॉलर कर्ज दिया है। इसे वापस लौटाना पाकिस्तान के लिए अगले सौ सालों तक भी मुश्किल है। इसलिए पाकिस्तान को अपने देश का ये बड़ा हिस्सा चीन को तोहफे में रूप में देना चाहता है।
शायद आपको नहीं पता होगा कि पाकिस्तान और चीन के बीच एक रक्षा संधि भी है। इसके अनुसार पाकिस्तान की किसी भी देश से युद्ध की स्थिति में चीन उसे अपने ऊपर हमला मानेगा और पाकिस्तान को समर्थन करेगा।
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