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anil bishnoi

देश में क्यों हो रही अनिल बिश्नोई की चर्चा? लॉरेंस बिश्नोई के उलट एक सच्चे संरक्षणकर्ता की कहानी

अनिल बिश्नोई का नाम राजस्थान में पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक शख्सियत के रूप में जाना जाता है। उनकी कहानी न केवल पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण है बल्कि साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक भी है।

1990 के दशक में जब उन्होंने पहली बार अपने क्षेत्र में वन्यजीवों के बढ़ते शिकार और घटते संसाधनों को देखा, तो उनका हृदय व्यथित हुआ। काले हिरण और चिंकारा उनके समुदाय, बिश्नोई समाज, के लिए धार्मिक महत्व रखते हैं और इन्हें गुरु जम्भेश्वर के रूप में पवित्र माना जाता है। बिश्नोई समाज के इस मूल सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए अनिल ने अपने जीवन को इनकी रक्षा के लिए समर्पित कर दिया।

अनिल बिश्नोई ने अपने क्षेत्र में काले हिरणों को बचाने के लिए कई साहसी कदम उठाए। वह न केवल शिकारियों का विरोध करते हैं, बल्कि अपने संगठन के साथ मिलकर जंगलों में गश्त करते हैं। उनकी इस मुहिम में कई बार उनकी जान को भी खतरा हुआ है, लेकिन उनका साहस और दृढ़ता अडिग है। उन्होंने शिकारियों से निपटने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को संगठित किया और शिकार होने की संभावना होने पर समय पर जानकारी देने का एक मजबूत तंत्र बनाया।

इतना ही नहीं, अनिल ने ब्लैकबक और चिंकारा के जलस्रोतों की कमी को देखते हुए 60 से अधिक जलाशयों का निर्माण किया। इस पहल ने न केवल हिरणों के जीवन को बेहतर बनाया, बल्कि उस क्षेत्र के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध किया है।

अनिल बिश्नोई को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें राज्य स्तर पर अमृता देवी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार और 2021 में नेटवेस्ट ग्रुप अर्थ हीरोज का “सेव द स्पीशीज” अवार्ड शामिल है। उनकी यह यात्रा केवल एक संरक्षक की नहीं है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपने जीवन को उन जीवों के लिए समर्पित कर दिया है, जिनकी रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी और धर्म है।

उनकी कहानी हम सभी को यह सिखाती है कि अगर हम भी प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति प्रेम और कर्तव्य का भाव रखें, तो एक हरित और संतुलित भविष्य संभव है। अनिल बिश्नोई का जीवन हम सबके लिए एक प्रेरणा है कि कैसे किसी एक व्यक्ति के दृढ़ निश्चय और समर्पण से एक बड़े बदलाव की शुरुआत की जा सकती है।