दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की है, जिसके बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। पार्टी के भीतर विभिन्न नामों पर चर्चा चल रही है। दिल्ली जैसे बहु-सांस्कृतिक शहर में सीएम पद के लिए उम्मीदवार का चयन करना पार्टी के लिए एक रणनीतिक निर्णय होगा। इसमें पूर्वांचल, पंजाबी, जाट और वैश्य जैसे समुदायों का समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
संभावित उम्मीदवारों की सूची
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कई वरिष्ठ नेताओं और विधायकों के नाम सामने आ रहे हैं। इनमें प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं:
- प्रवेश वर्मा: अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा तीन दशक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
- विजेंद्र गुप्ता: रोहिणी से सबसे बड़े अंतर से जीतने वाले पूर्व नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता भी एक मजबूत दावेदार हैं।
- वीरेंद्र सचदेवा: प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी में गुटबाजी समाप्त करने में वीरेंद्र सचदेवा की अहम भूमिका रही है।
- सतीश उपाध्याय: दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय भी सीएम पद की दौड़ में शामिल हैं।
- पवन शर्मा: उत्तम नगर से आप उम्मीदवार को हराने वाले पवन शर्मा का नाम भी संभावित सीएम के रूप में चर्चा में है।
- अजय महावर: घोंडा सीट से दूसरी बार विधायक बने अजय महावर ने 2020 से 2025 तक विधानसभा में बीजेपी के चीफ व्हिप के रूप में काम किया।
- पंकज सिंह: बिहार के बक्सर जिले से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर पंकज सिंह ने विकासपुरी से जीत दर्ज की है।
- अभय वर्मा: लक्ष्मी नगर से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने वाले अभय वर्मा भी इस रेस में हैं।
पूर्वांचल और बिहारी फैक्टर का महत्व
दिल्ली चुनाव में पूर्वांचल मतदाताओं की अहम भूमिका रही है। आगामी बिहार चुनाव को देखते हुए बीजेपी इस पहलू पर भी विचार कर सकती है। विकासपुरी से विधायक पंकज सिंह इस संदर्भ में एक प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। उन्होंने 49.6 प्रतिशत मत पाकर आप के महिंदर यादव को हराया। उनके परिवार की प्रतिष्ठा भी पार्टी के पक्ष में काम कर सकती है।
पंजाबी और सिख चेहरा भी विकल्प
बीजेपी के पास पंजाबी-सिख चेहरा चुनने का भी विकल्प है। राजौरी गार्डन से मनजिंदर सिंह सिरसा और जनकपुरी से आशीष सूद इस श्रेणी में मजबूत दावेदार हैं। आशीष सूद संगठन के कार्यों में सक्रिय रहे हैं और एमसीडी में काम करने का अनुभव भी रखते हैं।
अन्य समीकरण: जाट और वैश्य फैक्टर
दिल्ली में जाट और वैश्य समुदाय भी महत्वपूर्ण वोट बैंक हैं। ऐसे में पार्टी इन समुदायों से भी किसी चेहरे को सामने ला सकती है।
बीजेपी अक्सर चौंकाने वाले निर्णय लेने के लिए जानी जाती है। दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में सीएम पद के लिए ऐसा चेहरा चुना जाना चाहिए जो न केवल संगठन में मजबूती लाए, बल्कि दिल्ली के विविध समुदायों के बीच संतुलन भी बनाए रख सके। पार्टी को जमीनी स्तर से उभरने वाले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि मतदाताओं के बीच एक सकारात्मक संदेश जाए। इसके अलावा, पूर्वांचल और पंजाबी समुदाय को साधने की रणनीति से पार्टी आगामी चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है।
बीजेपी के लिए यह मौका है कि वह एक ऐसा नेतृत्व पेश करे जो दिल्ली की विकास योजनाओं को नई दिशा दे सके।
दिल्ली में बीजेपी के लिए सीएम पद का चुनाव केवल एक आंतरिक निर्णय नहीं, बल्कि आगामी लोकसभा और राज्य चुनावों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी किस नाम पर अंतिम मुहर लगाती है।
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