भारत की पहली महिला शासक रजिया सुल्तान थीं, जिन्होंने 1236 से 1240 तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया। वह न केवल भारत की पहली मुस्लिम महिला शासक थीं, बल्कि दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाली एकमात्र महिला भी थीं।
रजिया सुल्तान की प्रेरक कहानी
रजिया सुल्तान का जन्म 1205 में दिल्ली सल्तनत के शासक शम्सुद्दीन इल्तुतमिश और उनकी पत्नी तुरकान खातून के घर हुआ था। इल्तुतमिश ने रजिया को प्रशासनिक कार्यों में प्रशिक्षित किया और अपने बेटे नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद उन्हें उत्तराधिकारी घोषित किया। 1231-32 में, जब इल्तुतमिश ग्वालियर अभियान पर थे, रजिया ने दिल्ली का प्रशासन संभाला और अपनी कुशलता से सभी को प्रभावित किया।
सत्ता में आगमन
इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद, दरबारियों ने उनके पुत्र रुक्नुद्दीन फिरोज को सुल्तान बनाया, लेकिन उनकी अयोग्यता और उनकी माँ शाह तुरकान के अत्याचारों के कारण जनता में असंतोष फैल गया। रजिया ने जनता का समर्थन प्राप्त कर रुक्नुद्दीन को हटाया और 19 नवंबर 1236 को दिल्ली की सुल्तान बनीं।
शासनकाल और चुनौतियाँ
रजिया ने अपने शासनकाल में कई प्रशासनिक सुधार किए और योग्य व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया, चाहे वे तुर्किक हों या गैर-तुर्किक। हालांकि, दरबार के कुछ तुर्किक सरदारों को यह पसंद नहीं आया और उन्होंने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा। अंततः, अप्रैल 1240 में उन्हें गद्दी से हटा दिया गया।
अंतिम प्रयास और मृत्यु
गद्दी से हटाए जाने के बाद, रजिया ने बठिंडा के गवर्नर इख्तियारुद्दीन अल्तूनिया से विवाह किया और गद्दी वापस पाने का प्रयास किया। हालांकि, अक्टूबर 1240 में उन्हें उनके सौतेले भाई मुइज़ुद्दीन बहराम शाह की सेना ने पराजित किया और 15 अक्टूबर 1240 को कैथल में उनकी मृत्यु हो गई।
रजिया सुल्तान ने मध्यकालीन भारत में लिंग आधारित पूर्वाग्रहों को चुनौती दी और साबित किया कि महिलाएं भी कुशल प्रशासक और योद्धा हो सकती हैं। उनकी कहानी आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
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