कन्नौज की राजनीति में नवाब सिंह यादव का नाम एक समय बेहद चर्चित था, लेकिन अब वह एक गंभीर आरोप के तहत गिरफ्तार हो चुके हैं। उन पर एक नाबालिग लड़की के साथ रेप का आरोप है। इस मामले के बाद समाजवादी पार्टी ने उनसे अपना नाता तोड़ लिया है।
आखिर नवाब सिंह यादव कौन हैं और उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा? आइए जानते हैं।
छात्र राजनीति से उठी थी राजनीति की चिंगारी,नवाब सिंह यादव का संबंध कन्नौज जिले के कटरी के अंडगापुर गांव से है। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत छात्र राजनीति से हुई। साल 1997 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के छात्र संगठन ‘लोहिया वाहिनी’ से जुड़कर अपनी पहचान बनाई। पार्टी ने उनकी मेहनत को देखते हुए उन्हें जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी।
अखिलेश यादव के करीब
साल 1999 में जब अखिलेश यादव ने कन्नौज से पहली बार चुनाव लड़ा, तब नवाब सिंह यादव उनके संपर्क में आए। इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर काम किया और पार्टी में अपनी अहमियत बढ़ाई।
2006: ब्लॉक प्रमुख का ताज
2006 में नवाब सिंह यादव को ब्लॉक प्रमुख चुना गया, जिससे उनकी राजनीतिक ताकत और बढ़ गई। लेकिन 2007 में मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके खिलाफ कई केस दर्ज हुए। फिर भी, जब 2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने, तो नवाब सिंह का राज जमकर चला।
डिंपल यादव के चुनाव में निभाई अहम भूमिका
साल 2012 में जब डिंपल यादव सांसद चुनी गईं, तब नवाब सिंह यादव की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी गई। उस समय कांग्रेस और बसपा ने अपने उम्मीदवार खड़े नहीं किए थे, और बीजेपी के उम्मीदवार भी नामांकन नहीं कर पाए थे। नवाब की राजनीतिक सूझबूझ इस दौरान सामने आई।
2022 में टिकट की आस, लेकिन निराशा हाथ लगी
नवाब सिंह यादव ने 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट की उम्मीद की थी, लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
समाजवादी पार्टी ने किया किनारा
हाल ही में नवाब सिंह यादव पर नाबालिग लड़की से रेप का आरोप लगा, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस घटना के बाद समाजवादी पार्टी ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया है। कन्नौज जिला अध्यक्ष कलीम खान ने साफ किया कि नवाब सिंह यादव अब पार्टी के सदस्य नहीं हैं और पिछले पांच सालों से वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे।
यह मामला नवाब सिंह यादव के राजनीतिक जीवन पर एक गहरी छाया डाल रहा है और उनके भविष्य पर सवाल खड़े कर रहा है। क्या यह उनके राजनीतिक सफर का अंत है, या फिर यह सिर्फ एक नया मोड़? समय ही इसका उत्तर देगा।
कन्नौज में नवाब सिंह यादव की गिरफ्तारी पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज यादव ने सफाई देते हुए कहा कि नवाब सिंह का सपा से कोई संबंध नहीं है। हैरानी की बात यह है कि नवाब सिंह को बचाने के लिए भाजपा के नेता थाने पहुंच गए। मनोज यादव ने दावा किया कि जांच के बाद सच्चाई सामने आ जाएगी कि असल खेल क्या है।
वहीं, भाजपा ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया। भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि नवाब सिंह यादव सपा के महज छुटभैया नेता नहीं हैं, बल्कि वह डिंपल यादव के सांसद प्रतिनिधि भी रह चुके हैं। त्रिपाठी ने सपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “सपा हमेशा अपने ‘लड़कों से गलतियां हो जाती हैं’ की नीति के तहत अपराधों पर पर्दा डालती रही है। पहले अयोध्या का मोइद खान और अब कन्नौज का नवाब यादव—यही सपा का असली चरित्र है।”
कन्नौज में घटित इस घटना ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है, और आने वाले समय में यह मामला कितना तूल पकड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी।
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