हालही में बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘इमरजेंसी’ फिल्म को सेंसर बोर्ड की हरी झंडी मिल गई है और अब यह फिल्म अगले साल यानी 2025 में 17 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इमरजेंसी की तरह इस फिल्म में कंगना का इंद्रा लुक भी अब कॉन्ट्रोवर्सी बन गया है। क्रिटिक का मानना है कि क्वीन का इंदु लुक काफी बनावटी नजर आ रहा है।
कांपते होंठ, बालों पर लंबी सफेद पट्टी, और आत्मविश्वास भरी आंखें—बॉलीवुड ने इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व को बार-बार पर्दे पर उकेरने की कोशिश की है। कंगना रनौत का इमरजेंसी में इंदिरा का किरदार निभाना इसी एक्सपेरिमेंट का ताजा अध्याय है। लेकिन, क्या यह प्रयास आयरन लेडी के व्यक्तित्व को गहराई से समझने का है, या केवल राजनीतिक पार्टियों के वोटों को काटने का एक षड्यंत्र? आज हम इस लेख में बॉलीवुड में इंदु की दास्तान के बारे में आपको बताने जा रहे हैं-
इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति में वह नाम हैं, जिनका व्यक्तित्व सम्मान और आलोचना दोनों के बीच झूलता रहा है। देश की पहली और इकलौती महिला प्रधानमंत्री, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध से बांग्लादेश के गठन तक कई ऐतिहासिक फैसलों में अपनी छाप छोड़ी। लेकिन, उनकी विरासत में 1975 का आपातकाल और 1984 का ऑपरेशन ब्लूस्टार जैसे स्याह अध्याय भी शामिल हैं। और शायद यही विरोधाभास और रहस्य उन्हें सिनेमा के लिए आदर्श चरित्र बनाते हैं।
गुलजार की फिल्म आंधी (1975) इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व का सबसे करीबी और चर्चित चित्रण मानी जाती है। सुचित्रा सेन ने आरती देवी के रूप में उस आत्मविश्वास और गरिमा को पर्दे पर जीवंत किया, जो इंदिरा गांधी की पहचान थी। फिल्म में इंदिरा की छवि इतनी स्पष्ट थी कि इसे भी सेंसरशिप और विवाद का सामना करना पड़ा था।
बीते कुछ सालनों में बॉलीवुड में इंदिरा गांधी का किरदार लगातार अलग-अलग फिल्मों के माध्य से सामने आता रहा है। इंदु सरकार (2017) से लेकर सैम बहादुर (2023) तक, कई फिल्मों ने उन्हें अलग-अलग भूमिका में पेश किया है। इनमें बेल बॉटम में लारा दत्ता का नकली नाक वाला लुक और ठाकरे में अवंतिका अकरकर का सटीक मेकअप खास चर्चा में रहा। पर क्या इन फिल्मों ने इंदिरा के असली व्यक्तित्व को समझा?
इन प्रस्तुतियों में अक्सर मेकअप और लुक्स पर अधिक जोर दिया गया, जबकि उनके व्यक्तित्व के गहरे पहलुओं को नजर अंदाज कर दिया जाता। फातिमा सना शेख का सैम बहादुर में इंदिरा गांधी के रूप में प्रदर्शन एक सुखद अपवाद है, जहां लुक से ज्यादा उनके सैम मानेकशॉ के साथ रिश्ते पर फोकस किया गया।
और यदि इन सब की तुलना की जाए तो आप को भी समझ आएगा कि आखिर इंदु की नकल करना जिसे देश आयरन लेडी ने नाम से जानती है, क्या सच में इतना आसान काम है। बॉलीवुड की समस्या यह है कि वह महिला पात्रों को अक्सर उनकी शारीरिक विशेषताओं तक सीमित कर देता है। इंदिरा गांधी जैसी जटिल और शक्तिशाली महिला के विभिन्न शेड्स को गहराई से समझने और पेश करने का प्रयास अब भी अधूरा लगता है।
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