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Tuesday, May 6   8:04:25

जब ममता पर भारी पड़ा मानसिक तनाव अहमदाबाद की दिल दहला देने वाली घटना

गुजरात के अहमदाबाद से आई एक ख़बर ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। एक माँ, जिसने अभी कुछ ही दिनों पहले जीवन को जन्म दिया था, उसी ने गुस्से में आकर अपने नवजात बेटे की जान ले ली। वजह? बच्चा लगातार रो रहा था और माँ मानसिक रूप से थकी हुई, तनाव में थी।

माँ जो बनती है शक्ति का रूप, वही बन गई हादसे की वजह

मातृत्व को हमेशा शक्ति, धैर्य और ममता का प्रतीक माना गया है। लेकिन क्या कभी सोचा है कि एक माँ पर कितना मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक दबाव होता है? खासकर तब, जब उसे कोई समझने वाला, कोई सहारा देने वाला न हो।

यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक सच्चाई को उजागर करती है – हम मानसिक स्वास्थ्य को कितना नजरअंदाज करते हैं।

क्या माँ होना ही काफी है? नहीं, उसे सहारा भी चाहिए।
माँ बनना आसान नहीं होता। प्रसव के बाद का समय हर महिला के लिए बहुत संवेदनशील होता है। हार्मोनल बदलाव, नींद की कमी, शरीर की थकावट, और सबसे बड़ी बात – अकेलापन। अगर ऐसे समय में उसे परिवार का भावनात्मक सहारा न मिले, तो वह धीरे-धीरे अंदर ही अंदर टूटने लगती है।

अहमदाबाद की इस माँ के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। रिपोर्ट्स बताती हैं कि वह मानसिक तनाव में थी। शायद कोई उसके दर्द को नहीं समझ पाया। शायद वह मदद मांगना चाहती थी, लेकिन समाज की चुप्पी ने उसे और अकेला कर दिया।

समाज को बदलने की ज़रूरत है
इस हादसे को सिर्फ एक ‘क्राइम न्यूज’ कहकर भूल जाना सबसे बड़ी भूल होगी। हमें खुद से पूछना होगा:

क्या हम अपने घर की महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं?

क्या हम माँ बनने वाली महिलाओं को सिर्फ ‘कर्तव्यों’ की सूची पकड़ा देते हैं या उन्हें भावनात्मक सहारा भी देते हैं?

क्या हमने माँ को सिर्फ ‘मशीन’ मान लिया है जो बच्चा पैदा करे, पालन करे, बिना थके?

अब वक्त है जागने का हमें ज़रूरत है:
1. माँओं के लिए काउंसलिंग और मेंटल हेल्थ सपोर्ट सिस्टम बनाने की।
2. प्रसव के बाद का समय केवल शारीरिक ही नहीं, मानसिक रिकवरी का भी माना जाए।
3. परिवार को समझना होगा कि मदद माँगना कमज़ोरी नहीं, हिम्मत है।

इस दर्दनाक घटना ने एक मासूम की जान ले ली, और एक माँ की ज़िंदगी को तबाह कर दिया। अगर समाज थोड़ी समझदारी दिखाता, अगर परिवार थोड़ा सहारा देता, तो शायद आज यह बच्चा जिंदा होता और माँ एक अपराधी नहीं, एक माँ ही होती – सिर्फ माँ।