सूरत से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव ने एक पूरे परिवार को निगल लिया। मूल रूप से भावनगर के रहने वाले विपुलभाई प्रजापति ने अपने 10 वर्षीय बेटे व्रज और पत्नी सरिताबेन के साथ तापी नदी में छलांग लगाकर जान दे दी। गुरुवार रात को सरिताबेन का शव बरामद किया गया था, जबकि शुक्रवार सुबह नदी से विपुलभाई और मासूम व्रज के शव भी बरामद कर लिए गए।
संघर्षों की कहानी, जो मौत में खत्म हुई
विपुलभाई सूरत के चौक बाजार क्षेत्र में अपने परिवार के साथ रहते थे और हीरा फैक्ट्री में काम करते थे। हीरा उद्योग में आई मंदी और शेयर बाजार में नुकसान ने उन्हें आर्थिक रूप से बुरी तरह झकझोर दिया था। वहीं, पत्नी सरिताबेन भी मानसिक रूप से बीमार थीं। आर्थिक संकट और घरेलू तनावों ने उन्हें इस कदर घेर लिया कि उन्होंने जीवन समाप्त करने जैसा भयावह कदम उठा लिया।
मासूम की जिंदगी भी बन गई बलि का बकरा
स्थानीय नागरिकों के मुताबिक, उन्होंने एक व्यक्ति को तापी नदी में छलांग लगाते देखा और तुरंत कामरेज पुलिस को सूचना दी। सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसमें सरिताबेन का शव रात को बरामद कर लिया गया। जबकि अगले दिन सुबह विपुलभाई और उनके नन्हे बेटे का शव नदी से निकाला गया।
पुलिस ने घटनास्थल से विपुलभाई की बाइक, जूते और चप्पल बरामद किए हैं। यह संकेत है कि तीनों ने एक साथ आत्महत्या का मन बना लिया था। माना जा रहा है कि पहले बेटे को नदी में धकेला गया और फिर दोनों पति-पत्नी ने भी छलांग लगा दी।
“यह सिर्फ एक खबर नहीं, एक चेतावनी है।”
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आर्थिक परेशानियाँ और मानसिक तनाव जब सीमा लांघ जाते हैं, तो वे जीवन को ही नष्ट कर सकते हैं। क्या हमारा समाज इतना असंवेदनशील हो गया है कि कोई परिवार खुद को खत्म करने पर मजबूर हो जाए और किसी को इसकी भनक तक न लगे?
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की भारी कमी है, खासकर मध्यम वर्गीय और निम्न आय वर्ग में। जब तक हम आर्थिक समस्याओं को सिर्फ ‘घर की बात’ मानकर नजरअंदाज करते रहेंगे, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
जरूरत है सुनने वालों की, समझने वालों की और सहायता देने वालों की। यह घटना एक पुकार है – मानवता, अब जागो।

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