आर्थराइटिस (Arthritis) जिसको हिंदी में गठिया भी बोलते हैं, ये एक जोड़ों की बीमारी है। इस बीमारी में जोड़ों में सूजन आती है, जोड़ें अकड़ जाते हैं और दर्द उत्पन्न होता है। गठिया के 100 से अधिक प्रकार हैं, जिसमें ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) और रुमेटीइड गठिया (rheumatoid arthritis) सबसे आम हैं। दोनों प्रकार में जोड़ों में सूजन और दर्द होता है और अगर इलाज न किया जाए तो विकलांगता भी हो सकती है। अफ़सोस की बात यह है कि यह बिमारी कभी ख़त्म नहीं होती। इसके दर्द को कम करने का इलाज है पर इसको ख़त्म करने का नहीं।
आर्थराइटिस (Arthritis) होने के कारण दिन के छोटे बड़े काम करना भी मुश्किल हो जाता है। अगर गठिया घुटनों में है तो चलना मुश्किल होता है और अगर हाथों में है तो कुछ भी काम करना मुश्किल हो जाता है। यह रोग अलग-अलग जोड़ों में होता है। इस रोग के साथ जो जॉब करता है, नौकरी पे जाता है उसके लिए जीवन और भी कठिन हो जाता है। इससे न तो वह नौकरी पे पूरी तरह से ध्यान दे पाता है, और न ही अपने स्वास्थ्य पर।
यह रोग रोगी के शारीरिक स्वास्थ्य पर तो असर करता ही है, लेकिन मानसिक तौर पर इसका प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है। रोगी का आत्मविश्वास, भरोसा, स्वाभाव सब बदल जाता है। इस वक़्त उनका साथ देना, उनको खुश रखना, उनका दर्द कम करने की पूरी कोशिश करना बहुत ज़रूरी है। और यह सब केवल उनके करीबी ही कर सकते हैं। जानें कैसे कर सकते हैं आप रोगी की मदद:
- रोगी के दर्द और तकलीफ को समझने की कोशिश करें और उनकी छोटे बड़े कामों में मदद करें।
- उनसे हल्की-हल्की कसरत कराओ जो जोड़ों के दर्द में आराम दे सके।
- एक अच्छे डॉक्टर के पास ले जाकर उनका इलाज कराएं।
- प्रोटीन और दूध की वस्तुएं खाने से सूजन और शरीर में एसिड बढ़ता है इसलिए यह सब चीज़ें उन्हें खाने से रोकें।
- उन्हें प्रतिदिन तेल मालिश, कसरत और मानसिक शांति दें।
यह सब कर के हम ये बीमारी तो कम नहीं कर पाएंगे, लेकिन इसे करने से रोगी के दर्द में राहत जरूर मिल सकती है। उन्हें ज़िन्दगी जीने में थोड़ी आसानी होगी और उनका हौंसला बढ़ेगा। इस रोग में सबसे ज़्यादा मानसिक रूप से व्यक्ति तंग आ जाता है। इसलिए उन्हें मानसिक तौर पर किसी का साथ हमेशा चाहिए। इसलिए उनकी मदद करते रहें और उनका साथ हमेशा दें।
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